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विज्ञान के इतिहास मे कॉपरनिकस को जिंदा जला दिए जाने की घटना चर्चा में रही है; मगर इससे एक हजार वर्ष पहले पाँचवीं सदी में सिकंदरिया की गणितज्ञा हाइपेशिया के साथ भी इसी तरह का सलूक किया गया था, ऐसा थोड़े ही लोग जानते हैं ।
गणित के क्षेत्र में ढेरों महान् खोजें हुई हैं; मगर स्वयं गणित लोकजीवन के सामान्य चिंतन से बाहर होता चला गया है । यही वजह है कि गणित एक नीरस विषय लगने लगा है और उसमें आम लोगों की दिलचस्पी घटने लगी है; जबकि जीवन का कोई क्षेत्र ऐसा नहीं बचा है जहाँ अंकों से किसी-न-किसी का वास्ता न पड़ता हो । गणित की आकाशगंगा में भी एक- से-एक देदीप्यमान नक्षत्र हैं; यथा- आर्यभट्ट, ब्रह्मगुप्त, महावीराचार्य, भास्कराचार्य, यूक्लिड, आर्किमिडीज, रेने डेकार्ट, डेविड हिल्बर्ट, गॉस, लाइबनिट्ज, रामानुजन आदि । यह कड़ी यहीं खत्म नहीं होती बल्कि सतत जारी है ।
सामान्यजन को गणित के विषय में तथ्यपरक जानकारी देना इस्र पुस्तक का उद्देश्य है ।
दिलीप एम. सालवी एक ख्यातनाम विज्ञान लेखक हैं । उन्होंने विज्ञान पर लगभग पैंतीस सूचनापरक और लोकप्रिय पुस्तकें लिखी हैं, जिसमें उनके द्वारा लिखित विज्ञान कथाएँ भी शामिल हैं । प्रश्नों पर आधारित गणित, पर्यावरण विज्ञान और खगोल विज्ञान की प्रश्नोत्तरी रूपी पुस्तकें लिखी हैं । उन्होंने बच्चों के लिए विज्ञान विषयक अनेक नाटक भी लिखे हैं, जिनमें विज्ञान के समकालीन विषयों और मानवता को प्रभावित करनेवाले तथ्यों को उजागर किया गया है । वह विज्ञान और तकनीक से संबंधित कई पुरस्कारों के विजेता भी हैं ।