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कोई भी भाषा महज इसलिए बड़ी नहीं होती कि उसके बोलनेवालों की संख्या अधिक है, बल्कि वह इसलिए बड़ी होती है कि करोड़-करोड़ जनता के हृदय और मस्तिष्क की भूख मिटाने का वह प्रभावशाली साधन होती है। भारत में हिंदी भाषा की वही स्थिति है। हिंदी साहित्य का भंडार विस्तृत है। गद्य-पद्य, दोनों में विपुल साहित्य की रचना हुई है।
किसी भी साहित्य का उसके सम्यक् रूप में पारायण कर पाना बड़ा कठिन है। आज के व्यस्त समय में पाठक के पास न तो इतना समय है और न धैर्य। अतः हिंदी साहित्य के सार रूप को प्रश्नोत्तर शैली के एक हजार प्रश्नों के अंदर समोने की कोशिश की गई है। हालाँकि इतनी बड़ी विषय-वस्तु को मात्र हजार प्रश्नों में बाँध पाना अत्यंत दुष्कर कार्य रहा।
प्रस्तुत पुस्तक में हिंदी साहित्य के कलेवर को विभिन्न अध्यायों में बाँटकर विवेचित किया गया है, यथा—हिंदी साहित्य का इतिहास, काव्य शास्त्र, भाषा एवं व्याकरण, साहित्यिक विधाओं के साथ-साथ विविध अध्याय में मिश्रित प्रश्नों को समेटा गया है।
पुस्तक के अंत में पाठकोपयोगी हिंदी साहित्येतिहास प्रश्नोत्तर को शामिल किया गया है। विद्यार्थी, शिक्षार्थी, प्रतियोगी परीक्षार्थी, शोधार्थी, अध्यापक ही नहीं, सामान्य हिंदी-प्रेमी पाठकों के लिए एक अत्यंत उपयोगी पुस्तक।
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अनुक्रमणिका
1. हिंदी साहित्य का इतिहास — Pgs. 7
2. काव्य-शास्त्र — Pgs. 35
3. रचनाओं पर आधारित प्रश्न — Pgs. 49
4. भाषा एवं व्याकरण — Pgs. 73
5. साहित्य की विधाएँ — Pgs. 102
6. विविध — Pgs. 111
7. सार-संक्षेप — Pgs. 133
8. कुछ अतिरित प्रश्न — Pgs. 150
उारमाला — Pgs. 162
कुछ प्रमुख हिंदी लेखक-कवियों का संक्षिप्त परिचय — Pgs. 181
जन्म : 5 जुलाई, 1951 को ग्राम + पो. पहसारा, जिला-बेगूसराय (बिहार) में।
शिक्षा : एम.ए. (हिंदी), पी-एच.डी. ल.ना.मि. विश्वविद्यालय, दरभंगा।
व्यवसाय : शिक्षण।
प्रकाशन : ‘श्रेष्ठ हिंदी निबंध’, ‘सामान्य हिंदी एवं संक्षिप्त व्याकरण’, ‘पोपुलर हिंदी व्याकरण’, ‘भ्रष्टाचार भैरवी’ इत्यादि एवं दैनिक अखबारों व पत्रिकाओं में अनेक रचनाएँ प्रकाशित।
संप्रति : आर.सी.एस. कॉलेज बीहट (बेगूसराय) में हिंदी व्याख्याता।