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हमारी पृथ्वी का एक नाम ' वसुधा ' भी है । ' वसुधैव कुटुम्बकम् ' भारतीय संस्कृति का उद्घोष है । हमारी वसुधा, जो इनसानों, पशु-पक्षियों और वनस्पतियों का घर है, संकट से घिरी है । वातावरण के प्रदूषण ने उसका गला घोंट रखा है । औद्योगिक विकास की गति बढ़ने से, शहरीकरण और वाहनों की बढ़ती संख्या से वायु-प्रदूषण की समस्या अनुभव की जा रही है । पर्यावरण से संबंधित बहुत से मुद्दे हमारी रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़े हैं-पानी का बेकार बहना, ऊर्जा खपत, ईंधन खपत, कूड़ा-कचरा, मल-मूत्र निपटान आदि की समस्या । प्रकृति की साझेदारी में वायुमंडल एवं जीवमंडल का एक निश्चित अनुपात है । यह अनुपात जब भी बिगड़ता है, प्रकृति का संतुलन बिगड़ जाता है । यदि मनुष्य कुदरत के साथ अनावश्यक छेड़छाड़ न करे तो विपदाओं मे बचा जा सकेगा ।
सदियों से प्रकृति के प्रति हमारा अगाध स्नेह रहा है । इसीलिए आज भी इस बात की जरूरत है कि हम प्रकृति के बोर में सजग बनें ।
प्रस्तुत पुस्तक पर्यावरण के संबंध में अनेक महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ देने के साथ- साथ विषय के प्राति पाठकों में उत्सुकता व जिज्ञासा का भाव भी उत्पन्न करेगी, ऐमा विश्वास है ।
दिलीप एम. सालवी एक ख्यातनाम विज्ञान लेखक हैं । उन्होंने विज्ञान पर लगभग पैंतीस सूचनापरक और लोकप्रिय पुस्तकें लिखी हैं, जिसमें उनके द्वारा लिखित विज्ञान कथाएँ भी शामिल हैं । प्रश्नों पर आधारित गणित, पर्यावरण विज्ञान और खगोल विज्ञान की प्रश्नोत्तरी रूपी पुस्तकें लिखी हैं । उन्होंने बच्चों के लिए विज्ञान विषयक अनेक नाटक भी लिखे हैं, जिनमें विज्ञान के समकालीन विषयों और मानवता को प्रभावित करनेवाले तथ्यों को उजागर किया गया है । वह विज्ञान और तकनीक से संबंधित कई पुरस्कारों के विजेता भी हैं ।