‘पुरातत्त्व’ शब्द का अर्थ बहुत ही व्यापक है। इसमें प्रागैतिहासिक, आद्य-ऐतिहासिक तथा ऐतिहासिक सभी काल आ जाते हैं। प्रस्तुत पुस्तक में मुद्राशास्त्र, अभिलेख शास्त्र, मूर्ति निर्माण कला, वास्तुकला, उत्खनन, पुरास्थलों से संबंधित 1000 प्रश्न संकलित हैं। यद्यपि इतने कम प्रश्नों में इस व्यापक विषय को समेटना एक दुष्कर कार्य है, परंतु इतिहास एवं पुरातत्त्व के विद्यार्थियों तथा रुचि रखनेवाले पाठकों के लिए पुरातत्त्व संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्यों को प्रश्नोत्तरी शैली में प्रस्तुत किया गया है।
प्रत्येक प्रश्न के चार विकल्प दिए गए हैं, जिनमें एक सही उत्तर है। इससे पाठक अपने तर्कशक्ति के आधार पर अपने ज्ञान को कसौटी पर परख सकते हैं।
रेखा की प्रारंभिक शिक्षा पैतृक गाँव रिठाल (रोहतक) के राजकीय विद्यालय से शुरू हुई। तत्पश्चात् एम.ए., बी.एड., एम.फिल. व पी-एच.डी. की उपाधियाँ प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्त्व विभाग, महर्षि दयानंद विश्व-विद्यालय एवं कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से पूर्ण कीं। संप्रति वे राजीव गांधी राजकीय महाविद्यालय साहा (अंबाला), हरियाणा (कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र से संबद्ध) के इतिहास विभाग में सहायक प्रोफेसर हैं। उन्होंने अपने एक दशक के अध्यापन काल में दो छात्रों को एम.फिल. के लिए शोध में बतौर निदेशक कार्य किया। कई शोधपत्रों को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में पढ़ा, कुछ शोधपत्रों का राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशन। रुचि के प्रमुख विषय प्राचीन भारतीय इतिहास एवं पुरातत्त्व हैं। दो वर्ष के लिए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र के बोर्ड ऑफ स्टडीज की सदस्य हैं।