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भारत के 2014 के आम चुनावों को 1977 के बाद भारतीय इतिहास का सबसे महत्त्वपूर्ण पड़ाव माना जा रहा है। इस चुनाव में देश ने सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी को समेटते हुए, भारतीय जनता पार्टी को शानदार जीत दिलाई। साथ ही, चुनाव प्रचार की एकदम नई तरह की शैली देखी गई, जिसने राजनीतिक खेल के सारे नियम तोड़ डाले। लेकिन यह कैसे और क्यों मुमकिन हुआ?
इस दिलचस्प पुस्तक में प्रसिद्ध पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने राजनीति के सभी प्रमुख खिलाडि़यों और बड़ी खबरों के जरिए चुनावी कहानी पर नजर रखने का प्रयास किया है। इसकी शुरुआत 2012 से होती है, जब नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार गुजरात में राज्य विधानसभा के चुनाव में विजय हासिल की, लेकिन साथ ही एक बड़े मिशन पर अपनी निगाहें गड़ाईं। मनमोहन सिंह और संप्रग-दो के घोटालों, टीम मोदी की परदे के पीछे की रणनीतियों, राहुल गांधी की अभूतपूर्व चूकों और चुनाव वर्ष के राजनीतिक ड्रामे से होते हुए वे साल 2014 की उस शानदार जीत को रेखांकित कर रहे हैं, जिसने भारत को बदल दिया।
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अनुक्रम
प्राक्कथन (पग)
1. नरेंद्र भाई, गुजरात से आया व्यक्ति — Pgs. 1
2. खानदानी विरासत का कैदी — Pgs. 43
3. आईसीयू में सरकार — Pgs. 80
4. मैं प्रधानमंत्री बनना चाहता हूं — Pgs. 116
5. केंद्रीय स्थल के लिए संघर्ष — Pgs. 154
6. राजा, रानी और तीसरा पहलू — Pgs. 193
7. मल्टीमीडिया ही संदेश है — Pgs. 231
8. बनना एक लहर का — Pgs. 273
9. महासमर : अमेठी और वाराणसी — Pgs. 309
10. यही है सुनामी! — Pgs. 332
उपसंहार — Pgs. 350
परिशिष्ट 1 — Pgs. 368
परिशिष्ट 2 — Pgs. 372
परिशिष्ट 3 — Pgs. 386
आभार — Pgs. 38
राजदीप सरदेसाई देश के सबसे अधिक मान्यता प्राप्त और सम्मानित पत्रकारों में हैं। 1988 में पत्रकारिता का जीवन शुरू करनेवाले राजदीप सरदेसाई टेलीविजन और प्रिंट मीडिया में एक जाने-माने एंकर, संपादक और स्तंभकार हैं। इस समय वह इंडिया टुडे समूह के सलाहकार संपादक हैं। एडीटर्स गिल्ड के पूर्व अध्यक्ष सरदेसाई को 2008 में पद्मश्री सहित अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। वह दिल्ली में अपनी पत्नी सागरिका और बच्चे ईशान तथा तारिणी और अपने पालतू कुत्ते नेमो के साथ रहते हैं। यह उनकी पहली पुस्तक है।