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प्रस्तुत पुस्तक जिंदगी की आपा-धापी के बीच किंचित् ठहरकर जीवन के विविध आयामों की महत्ता एवं सुख तथा उमंग के साथ जीवन जीने की अपरिहार्यता के चिंतन का अवसर प्रदान करती है।
इस पुस्तक में लेखक द्वारा जीवन के विभिन्न पहलुओं का अत्यंत सरल एवं सारगर्भित विश्लेषण करते हुए उत्साह, उमंग एवं आह्लाद के साथ जीवन जीने की शैली और मानव जीवन की संभावनाओं की सुविज्ञता के साथ-साथ जीवन आह्लादमय कर देने की आकांक्षा एवं प्रेरणा अत्यंत प्रभावी रूप से प्रतिपादित की गई है। जीवन को सुख एवं उमंग से भरपूर कर देने के तत्त्व हमारे चहुँओर विद्यमान होने के बावजूद प्राय: जीवन अनेक आशाओं, आकांक्षाओं एवं राग-द्वेष के ताने-बाने में उलझा रहता है। मानव आह्लादपूर्ण जीवन का चुनाव करने में प्राय: चूक जाता है। लेखक ने स्पष्ट रूप से यह स्थापित करने का प्रयास किया है कि आह्लादमय जीवन न केवल हमारा अधिकार है वरन् कर्तव्य भी है।
श्री जय शंकर मिश्र एक अत्यंत लोकप्रिय एवं कुशल प्रशासनिक अधिकारी के साथ-साथ अत्यंत संवेदनशील व्यक्ति एवं रचनाकार के रूप में भी जाने जाते हैं। उत्तर प्रदेश शासन एवं भारत सरकार के अनेक महत्त्वपूर्ण तथा चुनौतीपूर्ण दायित्वों का अत्यंत सजगता, क्षमता एवं कुशलता से निर्वहन करने के साथ-साथ संस्कृति एवं साहित्य की अनेक विधाओं में श्री मिश्र की अत्यधिक अभिरुचि है।
विभिन्न भाषाओं में लिखे जा रहे साहित्य के पठन-पाठन के अतिरिक्त भारतीय वाड.मय, उपनिषदों एवं दार्शनिक ग्रंथों के अध्ययन में उनकी गहरी अभिरुचि है। पूर्व में प्रकाशित चार काव्य-संग्रहों के अतिरिक्त श्री मिश्र की अंग्रेजी भाषा में ‘ए क्वेस्ट फॉर ड्रीम सिटीज’, ‘महाकुंभ : द ग्रेटेस्ट शो ऑन अर्थ’, ‘हैप्पीनेस इज ए चॉइस चूज टू बी हैप्पी’ एवं इसका हिंदी भावानुवाद ‘24×7 आनंद ही आनंद’ आदि प्रकाशित हो चुकी हैं। ये रचनाएँ भी सुधी पाठकों द्वारा अत्यधिक अभिरुचि एवं आह्लाद के साथ स्वीकार की गई हैं।