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"उस गर्भवती स्त्री को किसने सहारा दिया होगा, जिसका पति उसे अकेला छोड़ गया? क्या बीती होगी उस सिंगल मदर पर, जिसने अकेले, अपने दम पर अपनी संतान का पालन-पोषण किया? और उन अकेली माँओं की व्यथा को किसने समझा होगा, जिनके पति साधारण मनुष्य नहीं, बल्कि भीम और अर्जुन जैसे महामानव थे? यह उपन्यास ऐसी ही चार सिंगल मदर्स की कहानी है, जिन्होंने अनेक तरह के सामाजिक, आर्थिक और भावनात्मक दबावों में जीवन काटा, परंतु धैर्य नहीं खोया और हार नहीं मानी। इन सब स्त्रियों के जीवन का एक ही मूल-मंत्र रहा— सिंगल मदर्स आर नॉट वीक!
कौन हैं ये 4 सिंगल मदर्स? क्या है इनके अदम्य साहस और संघर्ष की गाथा?
यह कथा एक ओर सिंगल मदर्स के सामर्थय, प्रेम, त्याग और आशा की जीत को रेखांकित करती है तो दूसरी ओर इसमें गैर-जिम्मेदार पुरुषों के लिए सबक भी है। यह तथाकथित पुरुष प्रधान समाज में स्त्री द्वारा प्रतिकूल परिस्थितियों को अनुकूलता में रूपांतरित करने की कहानी है।
आशा है, इस उपन्यास की चारों नायिकाओं ने अपने-अपने चिंतन और दर्शन से जो पगडंडियाँ बनाई हैं, वे जीवन के अरण्य में अकेली छोड़ दी गई स्त्रियों का मार्गदर्शन करेंगी और उन्हें भटकने से बचाएँगी।"
जन्म : 30 दिसंबर, 1973 को दिल्ली में।
शिक्षा : एम.ए. (हिंदी), स्नातकोत्तर डिप्लोमा (अनुवाद पत्रकारिता), एम.बी.ए.।
प्रकाशन : ‘शिक्षार्थी हिंदी प्रयोग कोश’, ‘द्विभाषी प्रशासनिक शब्द-प्रयोग कोश’, ‘एक सौ एक रोचक पहेलियाँ’, ‘1000 श्रीकृष्ण प्रश्नोत्तरी’, ‘1000 खोज एवं आविष्कार प्रश्नोत्तरी’; ‘हाउसहोल्ड पेट्स ऐंड देयर मैनेजमेंट’, ‘एकॉलोजी ऐंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट’ (अंग्रेजी से हिंदी में अनूदित), 2013 वार्षिक राशिफल, नौका डूबी, कुंभ मेला गाइड, थॉमस अल्वा एडिसन, अवचेतन मन की चमत्कारी शक्तियाँ, प्राकृतिक आहार के चमत्कार। प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से लेख व कविताएँ प्रकाशित।
संप्रति : रेल मंत्रालय में उप-निदेशक के पद पर कार्यरत।