₹400
रेयान दौड़कर बोर्ड के पास पहुँचा और पहली पंक्ति के नाइन पॉइंटर मुसकराए कि एक फाइव पॉइंटर क्लास के लिए योगदान देगा।
यद्यपि समीकरण सही था; रेयान बोर्ड तक नहीं जाता, जब तक कि वह यह न जान ले कि वह सही है।
“बहुत अच्छा, धन्यवाद रेयान। अच्छा, पिछले टर्म पेपर में स्कूटर के पेट्रोल के उपयोग पर लूब्रीकेंट की कार्य-क्षमता के बारे में तुमने ही लिखा था?” “जी हाँ, सर।”
“क्या यह सच है कि यह परिणाम तुमने अपने स्कूटर पर टेस्ट किया है?”
“हाँ, मैंने किया है, सर। यद्यपि बिलकुल सही तरीके से नहीं।”
“वह मुझे अच्छा लगा।” प्रो. वीरा ने नाइन पॉइंटर्स की तरफ देखते हुए कहा, जो रट्टू तोतों की तरह नोट्स बनाने में व्यस्त थे—“मुझे वास्तव में अच्छा लगा।”
—इसी उपन्यास से
आज की गलाकाट प्रतिस्पर्द्धा के दौर में कैसे अपनी क्षमता, इच्छाशक्ति और कुछ हासिल करने की शिद्दत से युवा सफल हो सकते हैं-यह मूल संदेश है 5 पॉइंट समवन का ।
लेखन के क्षेत्र में पदार्पण करते ही अपनी सरल-सुबोध भाषा, आकर्षक शिल्प तथा किस्सागोई के कारण लाखों युवाओं को लुभा लेनेवाले बेस्टसेलर लेखक चेतन भगत का उपन्यास है 5 पॉइंट समवन।
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क्रम-सूची
1. विकट शुरुआत—13
2. टर्मिनेटर —21
3. नाजुक पैर और कार —30
4. सीमा रेखा —36
5. लड़ाई नहीं, पढ़ाई—49
6. फाइव पॉइंट समथिंग—58
7. आलोक के विचार—67
8. एक साल बाद—71
9. तंत्र का दबाव—86
10. सहयोग का प्रभाव—95
11. उपहार—102
12. नेहा के विचार—116
13. एक और साल बाद—119
14. वोदका—127
15. ऑपरेशन पेंडुलम —137
16. मेरे जीवन का सबसे लंबा दिन : 1—141
17. मेरे जीवन का सबसे लंबा दिन : 2—147
18. मेरे जीवन का सबसे लंबा दिन : 3—156
19. मेरे जीवन का सबसे लंबा दिन : 4—162
20. मेरे जीवन का सबसे लंबा दिन : 5—171
21. मेरे जीवन का सबसे लंबा दिन : 6—178
22. रेयान के विचार—181
23. काजू बरफी—184
24. या हम यह कर पाएँगे?—187
25. पत्र का रहस्य—196
26. डैडी से मुलाकात—204
27. फाइव पॉइंट समवन—214
आई.आई.टी./आई.आई.एम. (अहमदाबाद) के स्नातक चेतन भगत ने अपने पहले ही उपन्यास से साहित्यिक क्षितिज पर अपनी उपस्थिति इस धमाकेदार तरीके से दर्ज करवाई कि न्यूयॉर्क टाइम्स ने उन्हें ‘भारतीय इतिहास में सर्वाधिक बिकनेवाला उपन्यासकार’ का खिताब दे दिया। उनके दो अन्य उपन्यासों ‘वन नाइट ञ्च द कॉल सेंटर’ तथा ‘द थ्री मिस्टेक्स इन माई लाईफ’ ने अपार लोकप्रियता अर्जित की है और इनपर शीघ्र ही हिंदी फिल्में भी प्रदर्शित होनेवाली हैं।
ग्यारह वर्ष हांगकांग में रहने के बाद वर्ष 2008 में चेतन वापस मुंबई आ गए, जहाँ वह ‘इन्वेस्टमेंट बैंकर’ का काम करते हैं। लेखन के अलावा इनकी रुचि पटकथा व अध्यात्म में भी है।
चेतन आई.आई.एम. की अपनी सहपाठी अनुषा से विवाहित हैं और अपने दो पुत्रों—ईशान तथा श्याम के साथ मुंबई में रहते हैं।
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