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इस पुस्तक में बिजनेस की 50 महान् हस्तियों के कारोबारी जीवन-संघर्ष की प्रेरणाप्रद कहानियाँ दी गई हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत, लगन, हौसले, इच्छा, उमंग, संघर्ष, सोच और जागरूकता के बल पर स्वयं को शून्य से शिखर पर पहुँचाया। पुस्तक में उनका केवल यशोगान नहीं किया गया है, बल्कि बताया गया है कि वे हर चुनौतियों, मुश्किलों और परिस्थितियों का सामना करते हुए, बिना रुके, बिना थके आगे बढ़ते रहे।
ये जीवन-संघर्ष कठोर होते हुए भी रोचक, रोमांचक और प्रेरक हैं, जिन्हें पढ़कर निश्चित ही हर किसी के अंदर आत्मविश्वास जाग्रत् हो सकता है। यहाँ गागर में सागर को चरितार्थ करते हुए, उनके संक्षिप्त जीवन-परिचय में अधिक-से-अधिक जानकारी देने की कोशिश की गई है।
बिजनेस के चमकते सितारों के व्यक्तित्व से सरल शब्दों में परिचित करानेवाली पठनीय पुस्तक।
अनुक्रम
अपनी बात —Pgs. 5
अजीम प्रेमजी —Pgs. 9
आदी गोदरेज —Pgs. 12
आदित्य विक्रम बिड़ला —Pgs. 15
अनिल अंबानी —Pgs. 19
अनु आगा —Pgs. 23
अजीत जैन —Pgs. 25
डॉ. ए. वेलुमणि —Pgs. 28
भँवरलाल जैन —Pgs. 30
डॉ. बी.आर. शेट्टी —Pgs. 33
धीरूभाई अंबानी —Pgs. 37
दादी बलसारा —Pgs. 40
डॉ. देशबंधु गुप्ता —Pgs. 43
दीपक पुरी —Pgs. 46
ध्रुव एम. साहनी —Pgs. 49
हर्ष मरीवाला —Pgs. 52
किशोर बियाणी —Pgs. 55
करसनभाई पटेल —Pgs. 58
कुमार मंगलम बिड़ला —Pgs. 62
कीमत राय गुप्ता —Pgs. 65
किरण मजूमदार शॉ —Pgs. 67
करन बिलिमोरिया —Pgs. 71
लक्ष्मी मित्तल —Pgs. 74
मुकेश अंबानी —Pgs. 78
एम.एस. ओबेरॉय —Pgs. 82
एन.आर. नारायण मूर्ति —Pgs. 85
नरेंद्र पाटनी —Pgs. 88
नतेसन मुरुगासन —Pgs. 90
रतन टाटा —Pgs. 93
रघुनाथन श्रीनिवास कामथ —Pgs. 96
शिव नाडर —Pgs. 99
एस. गोपालकृष्णन —Pgs. 102
सुनील भारती मित्तल —Pgs. 105
प्रदीप कार —Pgs. 108
वी.एस.एस. मणि —Pgs. 111
आनंद महिंद्रा —Pgs. 114
आर.एस. गोयनका एवं आर.एस. अग्रवाल —Pgs. 117
गौतम अडानी —Pgs. 120
जी.एम. राव —Pgs. 123
धर्मपाल गुलाटी —Pgs. 125
नरेश गोयल —Pgs. 128
ब्रिगेडियर डॉ. अरविंद लाल —Pgs. 130
डॉ. महेश गुप्ता —Pgs. 132
मोतीलाल ओसवाल —Pgs. 134
शरद बाबू : फूड किंग —Pgs. 136
संजीव बिखचंदानी —Pgs. 138
सावित्री जिंदल —Pgs. 140
शापूरजी पालोनजी मिस्त्री —Pgs. 142
दिलीप सांघवी —Pgs. 145
आर.पी. गोयनका —Pgs. 148
प्रदीप बर्मन —Pgs. 150
हिंदी के प्रतिष्ठित लेखक महेश दत्त शर्मा का लेखन कार्य सन् 1983 में आरंभ हुआ, जब वे हाईस्कूल में अध्ययनरत थे। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झाँसी से 1989 में हिंदी में स्नातकोत्तर। उसके बाद कुछ वर्षों तक विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के लिए संवाददाता, संपादक और प्रतिनिधि के रूप में कार्य। लिखी व संपादित दो सौ से अधिक पुस्तकें प्रकाश्य। भारत की अनेक प्रमुख हिंदी पत्र-पत्रिकाओं में तीन हजार से अधिक विविध रचनाएँ प्रकाश्य।
हिंदी लेखन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए अनेक पुरस्कार प्राप्त, प्रमुख हैं—मध्य प्रदेश विधानसभा का गांधी दर्शन पुरस्कार (द्वितीय), पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी, शिलाँग (मेघालय) द्वारा डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति पुरस्कार, समग्र लेखन एवं साहित्यधर्मिता हेतु डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान, नटराज कला संस्थान, झाँसी द्वारा लेखन के क्षेत्र में ‘बुंदेलखंड युवा पुरस्कार’, समाचार व फीचर सेवा, अंतर्धारा, दिल्ली द्वारा लेखक रत्न पुरस्कार इत्यादि।
संप्रति : स्वतंत्र लेखक-पत्रकार।