₹350
जीवन के विभिन्न पहलुओं को उजागर करती तथा सामाजिक सरोकारों को परिलक्षित करती सात कहानियों को अपने में समाहित किए मीनू त्रिपाठी का चौथा कथा-संग्रह ‘आभार तुम्हारा’ पाठकों को साहित्य के नए धरातल से परिचित कराने में सक्षम है।
सातों कहानियाँ मानव जीवन से जुड़ी क्लिष्टताओं, भावनात्मक-मानसिक द्वंद्वों तथा कालबाह्य सामाजिक मान्यताओं को न केवल उजागर करती हैं, अपितु पाठकों की आशा और अनुमान के विपरीत सर्वथा नई परिणति के दर्शन कराती हैं।
समकालीन भाषा-शैली की प्रधानता की खदबदाहट के बीच पात्रों के अनुरूप देशज भाषा का तड़का पाठक की पठनीय भूख को आस्वादन से तृप्त करने में सक्षम है।
सात मुक्तामणियों-सा सुशोभित सात कहानियों का मनोरंजक तथा पठनीय कहानी-संग्रह।
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अनुक्रम
भूमिका —Pgs. 7
प्रस्तावना —Pgs. 11
मेरी कलम से... 17
1. आभार तुम्हारा —Pgs. 23
2. किराएदार —Pgs. 45
3. भारुम —Pgs. 70
4. स्वेटर —Pgs. 89
5. एक दूजे के लिए —Pgs. 116
6. सामनेवाला घर —Pgs. 127
7. वो झूठा लड़का... —Pgs. 150
मीनू त्रिपाठी
एम.ए. (हिंदी), एम.ए. (इतिहास) तथा बी.एड. की शिक्षा प्राप्त तथा शिक्षण व सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय हिंदी साहित्याकाश की स्थापित सितारा मीनू त्रिपाठी सामाजिक सरोकारों से जुड़ी हुई एक संवेदनशील और बहुमुखी प्रतिभा की धनी कहानीकार हैं। तीन कहानी-संग्रहों एवं तीन सौ पचास से अधिक कहानियों, बाल-कहानियों और लघुकथाओं के साथ वे समकालीन कहानीकारों में एक विशिष्ट पहचान बन चुकी हैं। उनकी कहानियाँ देश की प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित और आकाशवाणी में नियमित रूप से प्रसारित होती रहती हैं। साहित्य-सृजन के अतिरिक्त सी.बी.एस.ई. तथा एन.सी.ई.आर. टी. से संबद्ध हिंदी पाठ्य पुस्तकों की रचना, संपादन तथा पुनरावलोकन भी समय-समय पर करती रहती हैं। एक सैन्य अधिकारी की पत्नी होने के कारण सेना के विभिन्न सामाजिक और रचनात्मक कार्यक्रमों में प्रतिभागिता तथा सफल संचालन इनकी विशिष्टता है। इनके साहित्यिक और सामाजिक योगदान को संज्ञान में लेते हुए देश की प्रतिष्ठित साहित्यिक और सामाजिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जा चुका है।
वर्तमान में नोएडा में रहकर लेखन कार्य एवं विभिन्न साहित्यिक कार्यक्रमों में सहभागिता द्वारा साहित्य-सेवा कर रही हैं।