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Author Helle Helle
Features
  • ISBN : 9789390923021
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Helle Helle
  • 9789390923021
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2021
  • 184
  • Hard Cover

Description

हेल्ले हेल्ले का जन्म  1965  में डेनमार्क  के  चौथे सबसे  बड़े  द्वीप लोलैंड  के  नगर नाकस्कॉव  में  हुआ था। उनका पालन-पोषण द्वीप लोलैंड के ही फेरी शहर रॉड्बी (Rødby)  में  हुआ था, जहाँ से नौकाएँ पुटगार्डन (जर्मनी) जाती हैं। साहित्य के प्रभाव में हेल्ले हेल्ले बचपन से थीं और अधिकांश समय पुस्तकालय में बिताती थीं। यह आभास उन्हें बहुत जल्दी ही हो गया था कि वह खुद भी एक लेखिका बनेंगी। रॉड्बी में करने के लिए बहुत कुछ नहीं था, इसलिए वे वयस्क होने पर कोपनहेगन शिफ्ट हो गईं। 1985 में उन्होंने कोपनहेगन विश्वविद्यालय में साहित्य अध्ययन में दाखिला लिया और एक लेखिका के रूप में उभरने लगीं।
साहित्य में स्नातक करने के पश्चात् उन्होंने 1991 में राइटर्स स्कूल, कोपनहेगन से स्नातक किया। उनकी पहली पुस्तक वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई और तब से ही उनका लोकप्रिय लेखन प्रशंसा और आलोचना दोनों का एक चर्चित विषय रहा है। उन्होंने अभी तक कई कहानियों के अलावा वयस्क साहित्य पर 10 उपन्यास और बाल साहित्य पर एक पुस्तक लिखी है।
हेल्ले हेल्ले अनेक साहित्यिक पुरस्कारों से सम्मानित हुई हैं डेनिश क्रिटिक्स पुरस्कार, डेनिश अकादमी का बीट्राइस पुरस्कार, पी.ओ. एनक्विस्ट अवार्ड और डेनिश कला परिषद् का प्रतिष्ठित लाइफटाइम अवार्ड। उनकी कहानियों और उपन्यासों का 22 भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। उपन्यास Dette Burde Skrives I Nutid (...आज की बात करें) के लिए उनको प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कार गोल्डन लौरेल से नवाजा गया है।

 

The Author

Helle Helle

अर्चना पैन्यूली मूलतः  उत्तराखंड राज्य की राजधानी देहरादून से हैं। विगत तेईस  वर्षों  से डेनमार्क में रह रही हैं। वहाँ नॉर्थ-सेलैंड इंटरनेशनल स्कूल में अध्यापन करती हैं। वे मुख्यतः इंडियन डायस्पोरा एवं स्कॉण्डिनेवियन देशों में बसे भारतीय समुदाय पर कहानियाँ और लेख लिखती रही हैं। उनका लेखन वर्तमान जातीय और प्रवासी मुद्दों तथा प्रवास के अनुभवों को दरशाता है, साथ ही यूरोपीय, विशेषकर स्कॉण्डिनेवियन देशों के भौगोलिक और सामाजिक परिवेश पर भी उन्होंने खुलकर अपनी लेखनी चलाई है। उनके उपन्यासों और कहानियों में भारतीय पात्रों के साथ-साथ यूरोपीय पात्रों की सहज उपस्थिति है। 
अब तक उनके चार उपन्यास और दो कहानी-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। उनका उपन्यास ‘वेयर डू आई बिलॉन्ग’ डेनिश समाज पर हिंदी में लिखा प्रथम उपन्यास है, जिसके लिए उनको अगस्त 2011 में इंडियन कल्चरल सोसाइटी, डेनमार्क द्वारा स्वतंत्रता दिवस समारोह पर प्राइड ऑफ इंडिया सम्मान से सम्मानित किया गया तथा अगस्त 2012 में राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा राष्ट्रकवि प्रवासी साहित्यकार पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया।
उपन्यास पॉल की तीर्थयात्रा की गणना फेमिना सर्वे द्वारा वर्ष 2016 के सर्वश्रेष्ठ दस उपन्यासों में की गई है। 
केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा द्वारा वर्ष 2018 के पद्मभूषण डॉ. मोटूरि सत्यनारायण पुरस्कार से सम्मानित।

 

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