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हर कहानी के दो पहलू होते हैं...
मुंबई में हुए 26/11 के आतंकी हमलों के ग्यारह साल बीत चुके थे, लेकिन उसके जख्म अब तक नहीं भरे थे। खास तौर पर पुलिस अधीक्षक विक्रांत सिंह के। आजकल राष्ट्रीय जाँच एजेंसी के साथ जुड़े, विक्रांत भारत के दौरे पर आए, पाकिस्तानी उच्चायुक्त जाकिर अब्दुल रऊफ खान से किसी तरह एक मुलाकात तय कर लेते हैं। जहाँ तक विक्रांत का दावा है, वह केवल खान से यह अपील करना चाहते हैं कि अपराधियों को पकड़ने की प्रक्रिया को तेज किया जाए, लेकिन मुलाकात का अंत उच्चायुक्त के मुँह पर पड़े एक मुक्के से होता है। इस बीच, भोपाल में, इंडियन मुजाहिदीन के पाँच सदस्य, जिन्हें विक्रांत ने मुंबई में आतंकवादी हमले की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया था, सेंट्रल जेल से भाग निकलते हैं। हाल ही में राजनयिक के साथ हुई झड़प के मामले में निलंबित विक्रांत से, भागे हुए आतंकियों का पता लगाने में, अनाधिकारिक रूप से मदद करने को कहा जाता है।
देश के एक दूसरे हिस्से में, एक रिटायर्ड प्रोफेसर, टूटे दिल वाला एक पूर्व सैनिक और अपनी ही मुसीबतों से घिरी एक युवती अपने बारे में गहराई से सोचने के लिए मुंबई से लक्षद्वीप जा रहे एक क्रूज लाइनर पर एक यात्रा पर निकल पड़ते हैं। हालाँकि, किस्मत को कुछ और ही मंजूर था, और क्रूज लाइनर को हाईजैक कर लिया जाता है। रहस्य, रोमांच, सस्पेंस, राष्ट्रप्रेम, कर्तव्यनिष्ठा और ऐसे अनेक पहलूओं की अनूठा मिश्रण है यह पुस्तक जो पाठक को बाँधे रहेगी और फिल्म देखने का आनंद देगी।
मसालेदार और दिलचस्प, हुसैन जैदी का जवाब नहीं।
एस. हुसैन जैदी तफ्तीश, अपराध और आतंक की खबरें देने में मुंबई की मीडिया के माहिर माने जाते हैं। उन्होंने एशियन एज, मुंबई के स्थानीय संपादक; मुंबई मिरर, मिड-डे और इंडियन एक्सप्रेस के संपादक (इन्वेस्टिगेशंस) के रूप में काम किया है। वे ब्लैक फ्राइडे, डोंगरी टु दुबई, माफिया क्वीन्स ऑफ मुंबई और बायकुला टु बैंकॉक समेत कई सर्वाधिक बिकनेवाली किताबों के लेखक हैं। उनकी सबसे नई रचना है डेंजरस माइंड्स। उनकी कई किताबों पर फिल्में बन चुकी हैं, जिनमें किताब के शीर्षक के नाम पर बनी फिल्म ब्लैक फ्राइडे, जिसका निर्देशन अनुराग कश्यप ने किया, शूटआउट एट वडाला, जो डोंगरी टु दुबई पर आधारित है एवं जिसका निर्देशन संजय गुप्ता ने किया और फैंटम, जो मुंबई एवेंजर्स पर आधारित है, जिसके निर्देशक हैं कबीर खान, प्रमुख हैं।
जैदी एच.बी.ओ. की फिल्म टेरर इन मुंबई के सहायक निर्माता भी हैं, जो 26/11 के आतंकी हमले पर आधारित है।