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मुझे तुम्हारा सुझाव पसंद आया। इससे पता चलता है कि तुम दूसरों के बारे में सोच रही हो। मैं ज्यादातर आमों को मीठा बनाऊँगा, लेकिन केवल उन्हीं आमों को, जो गरमी के मौसम में उगते हैं । उनकी जादुई मिठास एक व्यक्ति की भूख को संतुष्ट करेगी और गरमी के दिनों में उनकी प्यास बुझा देगी। खट्टे आमों को साल भर अचार बनाकर या चटनी के रूप में खाया जा सकेगा। इसके अलावा लोग प्रार्थना में देवताओं को आम चढ़ा सकते हैं या दोस्तों एवं रिश्तेदारों में बाँट सकते हैं। ऐसे कार्यों को पवित्र और उदार माना जाएगा।
सुधा मूर्ति का जन्म सन् 1950 में उत्तरी कर्नाटक के शिग्गाँव में हुआ। उन्होंने कंप्यूटर साइंस में एम.टेक. किया और वर्तमान में इन्फोसिस फाउंडेशन की अध्यक्षा हैं। बहुमुखी प्रतिभा की धनी सुधा मूर्ति ने अंग्रेजी एवं कन्नड़ भाषा में उपन्यास, तकनीकी पुस्तकें, यात्रा-वृत्तांत, लघुकथाओं के अनेक संग्रह, अकाल्पनिक लेख एवं बच्चों हेतु चार पुस्तकें लिखीं। सुधा मूर्ति को साहित्य का ‘आर.के. नारायणन पुरस्कार’ और वर्ष 2006 में ‘पद्मश्री’ तथा कन्नड़ साहित्य में उत्कृष्ट योगदान हेतु वर्ष 2011 में कर्नाटक सरकार द्वारा ‘अट्टीमाबे पुरस्कार’ प्राप्त हुआ। अब तक भारतीय व विश्व की अनेक भाषाओं में लगभग दो सौ पुस्तकें प्रकाशित होकर बहुचर्चित-बहुप्रशंसित।