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‘आपदा’ (Disaster) एक ऐसी असामान्य घटना है, जो सीमित अवधि के लिए आती है, किंतु किसी भूभाग या देश की अर्थव्यवस्था को छिन्न-छिन्न कर देती है।
अव्यवस्थित तंत्र के बल पर आपदाओं का सामना नहीं किया जा सकता। पिछले कई दशकों से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आपदा प्रबंधन के प्रयास किए जाते रहे हैं।
संप्रति आपदा प्रबंधन बहुआयामी व्यवस्था बन चुकी है, जो अधुनातन प्रौद्योगिकी की सहायता लेकर कम-से-कम समय में आपदाओं की पूर्व सूचना, चेतावनी, बचाव, राहत, पुनर्वास आदि के साधन जुटाती है। वर्तमान युग में आपदा प्रबंधन की महत्ता सर्वस्वीकृत है।
अब तक हिंदी में ‘आपदा प्रबंधन’ पर कोई पुस्तक उपलब्ध नहीं थी, अत: चित्रों से सुसज्जित यह पुस्तक इस अभाव की पूर्ति है। पुस्तक को तीन खंडों में विभाजित किया गया है। प्रथम खंड में आपदा प्रबंधन की सैद्धांतिक विवेचना है। दूसरे खंड में विविध प्राकृतिक आपदाओं का विवरण तथा दृष्टांत रूप में उनके प्रबंधन का वर्णन है। तृतीय खंड में मानवकृत आपदाओं का विवरण तथा उनका प्रबंधन बताया गया है। अंत में परिशिष्ट खंड में विविध सूचनाप्रद सामग्री संगृहीत है। हिंदी पारिभाषिक शब्दों के अंग्रेजी पर्यायों की सूची भी दी गई है।
आशा है, पाठकों के लिए यह पुस्तक जानकारीपरक, रोचक एवं मार्गदर्शन करने वाली सिद्ध होगी।
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अनुक्रम
भाग-1 : आपदा प्रबंधन : सैद्धांतिक विवेचन — Pgs. 13
1. आपदा प्रबंधन : परिचयात्मक — Pgs. 14
2. आपदा प्रबंधन के घटक : सन्नद्धता, निवारण तथा पुनर्वास — Pgs. 26
3. आपदा प्रबंधन : सूचना, शिक्षा तथा संचार — Pgs. 39
4. आपदा प्रबंधन, पर्यावरण तथा विकास — Pgs. 46
5. आपदा प्रबंधन के संदर्भ में — Pgs. 57
6. भारत में आपदाओं के संबंध में सरकारी प्रयास — Pgs. 70
7. भारत में आपदा प्रबंधन का प्रशासनिक ढाँचा — Pgs. 75
8. आपदा प्रबंधन का भविष्य — Pgs. 80
भाग-2 : प्राकृतिक आपदाएँ और उनका प्रबंधन (दृष्टांतों सहित) — Pgs. 81
1. भूकंप प्रबंधन — Pgs. 82
2. सुनामी प्रबंधन (भूकंप से संबद्ध प्राकृतिक आपदा) — Pgs. 99
3. बाढ़ प्रबंधन — Pgs. 108
4. चक्रवात प्रबंधन 5. सूखा प्रबंधन — Pgs. 142
भाग-3 : मानव-जनित आपदाएँ और उनका प्रबंधन — Pgs. 155
1. जलवायु परिवर्तन — Pgs. 157
2. मरुस्थलीकरण, भूमि-हृस तथा वन-विनाश — Pgs. 166
3. रासायनिक आपदाएँ — Pgs. 174
4. यातायात दुर्घटनाएँ एवं उनका प्रबंधन — Pgs. 179
5. नाभिकीय आपदा प्रबंधन — Pgs. 188
6. पर्यावरण प्रदूषण से उत्पन्न आपदाएँ — Pgs. 192
7. महामारियों का प्रबंधन — Pgs. 198
डॉ. शिवगोपाल मिश्र ( जन्म : सन् 1931) विज्ञान-जगत् के ख्याति -प्राप्त लेखक हैं । आपने इलाहबाद विश्वविद्यालय से एम.एस-सी. ( कृषि रसायन) तथा डी. फिल्. की उपाधियाँ प्राप्त करने के बाद इसी विश्वविद्यालय में 1956 से 1991 तक क्रमश: लेक्चरर, रीडर, प्रोफेसर और निदेशक पदों पर अध्यापन और शोधकार्य का निर्देशन किया । सूक्ष्म मात्रिक तत्त्व, फास्फेट, पादप रसायन, अम्लीय प्रदूषण, जैव उर्वरक, भारतीय कृषि का विकास, ऊर्जा, जीवनोपयोगी सूक्ष्म मात्रिक तत्त्व नामक पुस्तकों का प्रणयन आपकी महत्वपूर्ण उपलब्धि है । आपकी कई पुस्तकें पुरस्कृत भी हो चुकी हैं । आपने मृदा प्रदूषण, वायु प्रदूषण तथा जल प्रदूषण के विषय में अनेकानेक शोधपरक निबंध प्रकाशित किए हैं । प्रारंभ से ही हिंदी में रुचि होने के कारण 1952 से आप विज्ञान परिषद् प्रयाग से संबद्ध रहे हैं । आपने कई वर्षों तक मासिक पत्रिका ' विज्ञान ' का संपादन किया है । आपने ' भारत की संपदा ' का -संपादन तथा ' रसायन विज्ञान कोश ' का लेखन किया है ।
आपकी हिंदी सेवाओं के लिए 1993 में आपको ' डॉ. आत्माराम पुरस्कार ' से सम्मानित किया गया । विज्ञान परिषद् तथा इंडियन सोसाइटी ऑफ सॉयल साइंस के आप आजीवन सदस्य हैं ।