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यह पुस्तक प्रत्येक व्यक्ति तक पहुँचने और सामान्य अनुभवों, जैसे—स्वयं की खोज, इच्छाशक्ति, छोटी-छोटी विजय और सकारात्मक ढंग से सोचने की ताकत को साझा करने का एक प्रयास है। हमारा आगे का संघर्ष लंबा है, लेकिन हम एक साथ इस संघर्ष में दृढ़ रहेंगे। हमारी ताकत हमें पुनः यश के मार्ग पर ले जाएगी। ऐसा प्रतीत होता है कि हम सभी ने इस अभूतपूर्व समय में भविष्य गढ़ा है। एक ऐसा भविष्य, जहाँ विश्व के घाव भरेंगे; एक ऐसा भविष्य, जहाँ आनेवाली पीढि़याँ हमें एक स्वस्थ विश्व के अगुवाओं के रूप में देखेगी।
चारों तरफ नजर रखना, समाचार पढ़ना और सफलता एवं भाईचारे की छोटी-छोटी कहानियों ने मुझे यह सोचने पर विवश कर दिया कि हम इनसान के रूप में कैसे अपनी किस्मत और भाग्य के मास्टर हैं। हम अपने दिमाग द्वारा तय सभी कार्य किस तरह करने में सक्षम हैं। विपरीत समय में हम अँधेरे में आशा की किरण देखते हैं; तूफान के बाद इंद्रधनुष का इंतजार करते हैं और इस सबसे गुजरने पर हम अपनी अद्भुत धरती माँ द्वारा उदारतापूर्वक प्रदान की गई चीजों की सराहना करने का समय निकालते हैं।
वैश्विक महामारी कोविड-19 से उपजी असामान्य परिस्थितियों के बीच मानवता, संवेदना, सह-अस्तित्व, परोपकार, पारस्परिकता जैसे जीवन-मूल्यों के प्रेरक उदाहरणों से भरपूर यह पुस्तक निराशा और अवसाद को दूर करने की अद्भुत शक्ति प्रदान करती है।
प्रतिष्ठित फिल्म अभिनेता व रंगकर्मी अनुपम खेर को 25 वर्षों के लंबे फिल्मी कॅरियर में 450 से अधिक फिल्में करने का अनुभव है। उन्होंने ‘सारांश’, ‘तेजाब’, ‘डैडी’, ‘कर्मा’, ‘हम’, ‘सौदागर’, ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएँगे’, ‘हम आपके हैं कौन’, ‘खोसला का घोंसला’, ‘ए वेंस्डे’ के अलावा असंख्य फिल्मों में अपने जोरदार अभिनय के द्वारा अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। एक प्रेरक वक्ता और थिएटरकर्मी के रूप में उन्होंने अपार ख्याति अर्जित की है। उनके अभिनव प्रयोग एकल नाटक ‘कुछ भी हो सकता है’ ने लोकप्रियता के शिखर को छुआ है। वे राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों से विभूषित हो चुके हैं। इंडियन सेंसर बोर्ड तथा नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के अध्यक्ष रहने के अलावा वे अनेक महत्त्वपूर्ण पदों को सुशोभित कर चुके हैं। वे एक ऐक्टिंग स्कूल ‘ऐक्टर थियेटर्स’ भी संचालित करते हैं।