₹300
"यारी, यायावरी और अल्हड़पन। अकसर कुछ इसी तरह हम अपने कॉलेज के दिनों को याद करते हैं। पर जो युवा बहुवांछित भारतीय सिविल सेवाओं में जाने के लिए तैयारी कर रहे हैं, उनके लिए कॉलेज की जिंदगी में एक परत और जुड़ जाती है। ‘आरोही’ तीन ऐसे ही युवाओं— मिहिर, उदय और संदीप—के इर्द-गिर्द घूमती कहानी है, जो सिविल सेवा परीक्षा में सफल होने का संकल्प लेकर एक साथ निकले हैं। गंभीर और जुनूनी मिजाज के मिहिर की आँखों से कहानी देखते हुए हम पाते हैं कि यह पुस्तक कॉलेज की जिंदगी, दोस्ती, रोमांस, घर से निकलकर एक नए माहौल में ढलने का सफर साझा करती है, साथ ही यह दरशाती है कि धर्म और लिप्सा, प्रेम और वासना के बीच सामंजस्य का रास्ता कितना दुष्कर हो सकता है। मिश्रित मानवीय भावनाओं को चित्रित करने के लिए तीन प्रतीकों का बखूबी इस्तेमाल किया गया है— ‘मोनालिसा’, ‘सोम’ और ‘शिव’।
‘आरोही’ एक जिंदादिल तिकड़ी के आपसी तालमेल की एक चित्ताकर्षक कहानी है, जो आपको संकल्प के ऐसे सफर पर ले जाएगी, जहाँ युवा परिपक्व होकर पुरुष और छात्र संघर्ष में ढलकर सिविल सेवा अधिकारी बनते हैं। यह पुस्तक हमें यह भी बताती है कि सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के दौरान क्या नहीं करना चाहिए। जीवन की वास्तविकताओं के बीच से गुजरते हुए, यह बहुपरती उपन्यास व्यावहारिक फलसफे से भी रूबरू कराता हैं, जो आकांक्षी युवाओं को जीने का सलीका सिखाएगा और उनका मार्ग सूची-पत्रों के लिए प्रशस्त करेगा।
मुकुल कुमार एक नौकरशाह, उपन्यासकार एवं कवि हैं। वे भारतीय रेलवे यातायात सेवा के 1997 बैच के सिविल सेवक हैं। वर्तमान में वे रेलवे बोर्ड, रेल मंत्रालय में कार्यरत हैं।
उनकी प्रकाशित कृतियों में तीन अंग्रेजी उपन्यास, ‘एज बॉयज बिकम मेन’, ‘सेडक्शन बॉय ट्रुथ’ और ‘लॉस्ट इन द लव मेज’ तथा तीन अंग्रेजी कविता-संग्रह ‘द इर्रिप्रेसिबल इकोज’, ‘कैथार्सिस’ तथा ‘रिद्म ऑफ द रूइंस’ हैं।
मुकुल कुमार को भारतीय रेलवे में उत्कृष्ट सेवा के लिए ‘राष्ट्रीय पुरस्कार’; भारत निर्माण फाउंडेशन द्वारा साहित्यिक उत्कृष्टता के लिए ‘भारत निर्माण पुरस्कार’ और नौकरशाह तथा लेखक के रूप में समाज में उनके योगदान के लिए ‘पूर्वांचल गौरव सम्मान’ से सम्मानित किया गया है।
‘आरोही’ मुकुल कुमार की प्रथम हिंदी रचना है।