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गुलाब कोठारी का बहुमुखी व्यक्तित्व है। उनके अधिकांश प्रशंसक उन्हें एक प्रखर पत्रकार और संपादक के रूप में जानते हैं। प्रबंधक के रूप में भी वे मीडिया जगत् की जानी-मानी हस्ती हैं। एक संवेदनशील कवि के रूप में वे हिंदी-जगत् में उभरे, जब उन्हें भारतीय ज्ञानपीठ के मूर्तिदेवी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वेद-विज्ञान में भी उनकी राष्ट्रीय छवि है।
पत्रकारिता, वेद-विज्ञान और साहित्य का प्रतिनिधित्व करती उनकी कुछ रचनाएँ इस ग्रंथ में शामिल की गई हैं, ताकि पाठक प्रोफेसर कोठारी के लेखन का एक आस्वाद पा सकें। विभिन्न स्तरों पर उनका लेखन एक विराट् सृजन-यात्रा है। वे निरंतर सृजनरत हैं।
‘वेद-विज्ञान, पत्रकारिता और साहित्य में आचार्य गुलाब कोठारी की दृष्टि’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में साहित्य, संस्कृति, शिक्षा, वैदिक वाङ्मय, दर्शन, धर्म, अध्यात्म, राजनीति, पत्रकारिता व मीडिया प्रबंधन से जुड़ी विख्यात हस्तियों ने भागीदारी निभाई। इनमें प्रो. सत्यव्रत शास्त्रा्, बालकवि बैरागी, प्रसून जोशी, स्वामी अवधेशानंद गिरी, बी.एल. जोशी, स्वामी रामनरेशाचार्य, स्वामी महेश्वरानंद, शिवराजसिंह चौहान, उमा भारती, एच.के. दुआ, राम बहादुर राय, इशरत अली, युगलकिशोर मिश्र, विक्रम सखूजा, रमेश नारायण, मदर सांडा डेविस, कटसूया कोडामा आदि अनेक वक्ताओं ने प्रोफेसर गुलाब कोठारी के व्यक्तित्व और कर्तृत्व पर खुलकर विचार व्यक्त किए। यह ग्रंथ इसी संगोष्ठी का प्रतिनिधि संकलन है।
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अनुक्रम
भूमिका —Pgs 5
Dr. Gulab Kothari (A brief profile) 7
16 फरवरी, 2016
उद्घाटन सत्र
1. प्रोफेसर गुलाब कोठारी और भारतीय विद्या भवन ने भारतीय मूल्यों को आगे बढ़ाया—श्री अशोक प्रधान —Pgs 20
2. भारतीय संस्कृति के पुरोधा डॉ. गुलाब कोठारी—प्रो. सत्यव्रत शास्त्री —Pgs 24
3. हर आत्मा में कृष्ण को देखना, हमारे कर्म को यज्ञ बनाता है—श्री गुलाब कोठारी —Pgs 32
4. डॉ. गुलाब कोठारी ने शास्त्रीय परंपरा को आधार बनाया—श्री बी.एल. जोशी —Pgs 44
पुस्तक लोकार्पण : ‘द कॉस्मिक इनफिनिटी’
5. सृष्टि कैसे बनी, इस जटिल प्रश्न का उत्तर है—‘द कॉस्मिक इनफिनिटी’—प्रो. दयानंद भार्गव —Pgs 50
प्रथम सत्र-पत्रकारिता
6. पत्रकारिता : कुछ चुने हुए अग्रलेख—गुलाब कोठारी —Pgs 56
(i) ईश्वर सद्बुद्धि दे —Pgs 57
(ii) वैश्वीकरण की चपेट में मीडिया —Pgs 59
(iii) मीडिया बचेगा तो लोकतंत्र बचेगा —Pgs 61
(iv) स्थानीय संस्कृति से विमुखता घातक —Pgs 64
(v) बोए पेड़ बबूल... —Pgs 66
7. पत्रिका की पत्रकारिता हिंदी के अखबारों में मिसाल रही है—श्री एच.के. दुआ —Pgs 68
8. वेदों में है भारत-भूमि की आत्मा—श्री राम माधव —Pgs 76
9. आज मीडिया के सामने गंभीर चुनौतियाँ हैं—श्री जगदीश चंद्र —Pgs 84
10. पत्रकारिता में धर्म-संस्कृति के नए आयाम जोड़े पत्रिका ने—श्री राम बहादुर राय —Pgs 90
11. कुलिशजी की संघर्ष की परंपरा को विस्तार दिया डॉ. गुलाब कोठारी ने—श्री ओम थानवी —Pgs 100
द्वितीय सत्र-प्रबंधन
12. Gulab Kothari A Man with a Heart of Gold—Mr. Ramesh Narayana —Pgs 110
13. Gulab Kothari and His Holistic Approach to Management—Mr. Vikram Sakhuja —Pgs 116
17 फरवरी, 2016
तृतीय सत्र-काव्य
14. काव्य : कुछ चुनी हुई कविताएँ—गुलाब कोठारी —Pgs 126
(i) हम-तुम —Pgs 127
(ii) धर्म —Pgs 132
(iii) सपने उजाले के —Pgs 136
(iv) भागमभाग —Pgs 138
(v) तुम ब्रह्म कमल —Pgs 140
15. डॉ. गुलाब कोठारी की तरह पीढ़ियों की चिंता करनेवाला कोई नहीं आज—श्री बालकवि बैरागी —Pgs 146
16. गुलाबजी का साक्षी भाव, द्रष्टा भाव मुझे आश्चर्य में डालता है—श्री प्रसून जोशी —Pgs 158
17. ‘रे मनवा मेरे’ खुद को भीतर से गढ़ने का काव्य है—प्रो. अजहर हाशमी —Pgs 168
18. दैवी संस्कृति का अर्थ है देनेवाला, लेनेवाला नहीं—सुश्री ब्रह्मकुमारी आशा दीदी —Pgs 178
19. स्त्री तत्त्व के प्रति आदर भाव आपकी मूल शक्ति है—श्री अशोक चक्रधर —Pgs 184
चतुर्थ सत्र-साहित्य
20. ‘आद्या’ नारी की संवेदनशीलता का ग्रंथ है—स्वामी अवधेशानंद गिरी —Pgs 192
21. आर्थिक गुलामी से मीडिया ही बचा सकता है—श्री इशरत अली —Pgs 208
22. कोठारीजी की लेखनी मन, बुद्धि और आत्मा; सबका स्पर्श करती है—सुश्री समणी चरित्र प्रज्ञा —Pgs 212
विशेष व्याख्यान
23. एक सात्त्विक कार्यकर्ता के सभी लक्षण हैं कोठारीजी में—श्री िशवराज सिंह चौहान —Pgs 214
18 फरवरी, 2016
पंचम सत्र-वेद विज्ञान
24. वेद-विज्ञान : गुलाब कोठारी : कुछ चुने हुए लेख —Pgs 223
(i) अहिंसा —Pgs 224
(ii) चाक्षुष कृष्ण —Pgs 227
(iii) मन और बुद्धि —Pgs 230
(iv) एकोऽहं बहुस्याम् —Pgs 234
(v) वैश्वानर अग्नि —Pgs 236
25. कोठारीजी का लेखन युवा-पीढ़ी के लिए प्रभावशाली संप्रेषण है—स्वामी रामनरेशाचार्य —Pgs 238
26. ‘शब्द-वेद : ’ वेदों का सबसे अच्छा ग्रंथ है—श्री युगल किशोर मिश्र —Pgs 248
27. कर्पूर भाष्य सामाजिकता से जोड़ता हुआ वैज्ञानिकता की ओर ले जाता है—श्री रामानुज देवनाथन —Pgs 262
विशेष व्याख्यान
28. I Salute Dr. Kothari’s Vedic Wisdom—Mother Sanda Davis —Pgs 272
29. I know the Vedic Values from the Writings of Professor Kothari—Mr. Katsuya Kodama —Pgs 280
समापन सत्र
30. प्रो. कोठारी में सेना का अनुशासन व पत्रकारिता का संघर्ष एक साथ है—प्रो. दयानंद भार्गव —Pgs 288
31. गुलाब कोठारीजी सहज प्रज्ञावान हैं—सुश्री उमा भारती —Pgs 292
32. कोठारीजी का लेखन आनेवाली पीढ़ियों का पथ-प्रदर्शक होगा—प्रो. सत्यव्रत शास्त्री —Pgs 300
33. वेदों का अनुवाद युवा पीढ़ी को उपलब्ध हो तो कल्याण होगा—स्वामी महेश्वरानंद —Pgs 306
34. हमें वेदों का मर्म जन-जन तक पहुँचाना होगा—श्री एम.एस. मन्ना —Pgs 312
35. बहुआयामी प्रतिभा के धनी हैं गुलाब कोठारीजी—श्री नरेंद्र सिंह तोमर —Pgs 318
36. अनासक्त भाव से जीना हम कोठारीजी से सीख सकते हैं—श्री एस.एल. गांधी —Pgs 322
37. धन्यवाद ज्ञापन : तीन धाराओं का समन्वय —Pgs 327
38. चित्रवीथि : आचार्य गुलाब कोठारी के महत जीवन प्रसंग —Pgs 329
39. लेखक परिचय —Pgs 344