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Acharya Raghuveer    

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Author Shashibala
Features
  • ISBN : 9789350485330
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Shashibala
  • 9789350485330
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2017
  • 168
  • Hard Cover

Description

स्वतंत्रता, सांस्कृतिक चेतना और स्वभाषा के स्वाभिमान के मार्ग पर चला देना चाहते थे। इस पुस्तक में भारतीय धरोहर के मनीषी आचार्य रघुवीर की अद्भुत मेधा और विचारपूर्ण चिंतन के बारे में विस्तृत जानकारी है। यूरोप में विद्यार्थी के रूप में उनका अध्ययन, अनुसंधान एवं लेखन एवं भारत लौटने पर वैदिक वाङ्मय पर किया गया अनुसंधान कार्य तथा संस्कृत के उत्कर्ष का स्वप्न आदि विषयों पर प्रकाश डाला गया है। संस्कृति के अग्रदूत के रूप में उनका व्यक्तित्व, सांस्कृतिक धरोहर के रक्षण एवं अनुसंधान हेतु सरस्वती विहार की स्थापना, एशिया के विभिन्न देशों में उनकी यात्राएँ, उनके द्वारा स्थापित सांस्कृतिक संबंध, उन देशों में किए गए कार्य तथा वहाँ से संगृहीत सांस्कृतिक निधियाँ आदि विषयों पर सचित्र वर्णन प्रस्तुत हैं।

The Author

Shashibala

डॉ. शशिबाला पिछले 38 वर्षों से आचार्य रघुवीरजी द्वारा स्थापित संस्था ‘सरस्वती विहार’ में उनके सुपुत्र डॉ. लोकेश चंद्रजी के सान्निध्य में अनुसंधान कार्य कर रही हैं। उन्होंने 15 वर्षों तक राष्ट्रीय संग्रहालय संस्थान, नई दिल्ली में दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों तथा जापान की कला का इतिहास पढ़ाया है। उन्होंने इंडोनेशिया से प्राप्त ‘संस्कृत व्याकरण खंड’, ‘जापान में वैदिक देवता’, ‘तत्त्वसंग्रह’ तथा ‘वज्रधातुमंडल’, ‘जापानी कला का इतिहास’, ‘Buddhist Art’, ‘In Praise of the Divine’, ‘Divine Art’, ‘Manifestations of Buddhas’ आदि पुस्तकें तथा एशिया के देशों के कला-इतिहास तथा संस्कृति, संस्कृत, भारतीय लिपियों, दर्शन एवं संस्कार आदि विषयों पर पचपन अनुसंधान लेख तथा अनेक लघु लेख लिखे हैं, जो देश तथा विदेश की अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में प्रस्तुत किए गए हैं। यूरोप और एशिया के विभिन्न देशों की अनेक बार यात्राओं के समय उन्होंने विदेशी विश्वविद्यालयों में, गोष्ठियों में तथा आकाशवाणी बी.बी.सी. से भाषण प्रस्तुत किए हैं। भारतीय संस्कृति का विदेशों में प्रचार करने वाले महान् आचार्यों में से कुमारजीव तथा अतीश पर उनके द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन एवं प्रदर्शनियों का बृहत् रूप से स्वागत हुआ॒ है।

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