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एक अच्छा शिक्षक ज्ञान-केंद्रित होता है। विद्यार्थी की उपलब्धियों तथा उसे उच्चतम तक पहुँचाने की आकांक्षाओं के लिए सदा-सर्वदा सहायक सिद्ध होता है। अच्छे विद्यार्थी अच्छे आचार्य के संरक्षण में सुंदर गुलाब के फूलों के समान विकसित होते हैं और अपनी सुरभि से वातावरण को सुगंधित कर देते हैं। विद्यार्थी स्वाभाविक रूप से विकसित होते हैं। गुणों को अर्जित कर उन्नति-पथ पर अग्रसर होते हैं। इस प्रक्रिया में आचार्य का हस्तक्षेप गौण रहता है। आचार्य विद्यार्थियों की रुचि तथा अभिरुचि का ध्यान रखकर, उसकी अंगुली पकड़ सर्वप्रथम उसके साथ कदम मिलाकर चलता है; फिर उसे प्रगति का एहसास कराकर उसका साथ छोड़ देता है; तदुरांत वह प्राकृतिक रूप से अपना रूपांतरण तथा अपेक्षित परिवर्तन कर अपने पथ पर अग्रसर होता है और निर्दिष्ट स्थान पर पहुँच जाता है। विद्यार्थी को उच्च स्थान पर पहुँचा देख आचार्य कितना प्रसन्न होता है, इसकी कोई सीमा नहीं रहती। आदर्श आचार्य तथा आदर्श विद्यार्थी के स्नेहिल मिलन से रोमांचक तथा स्मरणीय परिणाम देखने को मिलते हैं।
प्रस्तुत पुस्तक में संकलित हैं ऐसे ही कुछ प्रेरणादायक प्रसंग, जो देखने में छोटे, परंतु प्रेरणा देने में अत्यंत ही महत्त्वपूर्ण हैं। इसमें आचार्यों के जीवन का निचोड़, दिशा-निर्देशन तथा सभी अध्यापकों के लिए मार्गदर्शन है। इसको पढ़कर मास्टर-अध्यापक आचार्य में परिवर्तित हो जाएँगे। अतः यह पुस्तक न केवल आचार्यों के लिए अपितु शिक्षा क्षेत्र में कार्य करनेवाले सभी कार्यकर्ताओं के लिए मूल्यवान है।
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अनुक्रम | |
संदेश : प्रकाश जावडेकर — Pg. 5 | 51. हिंदी के प्रति आस्थावान — Pg. 60 |
प्रस्तावना : चयनित प्रेरणादायक प्रसंग — Pg. 7 | 52. सच्ची लगन और निरंतर अभ्यास का परिणाम — Pg. 61 |
1. ईश्वर सर्वव्यापक — Pg. 15 | 53. नियम सबके लिए समान — Pg. 62 |
2. नियम-पालन — Pg. 16 | 54. कर्तव्य-निष्ठा — Pg. 63 |
3. यूरोपीय शिष्टाचार — Pg. 16 | 55. क्रांतिकारी स्कूली छात्र — Pg. 63 |
4. दुर्गाबाई की अनुपम देन — Pg. 17 | 56. नियम पालन — Pg. 65 |
5. विश्वविद्यालय की प्रत्येक ईंट से लगाव — Pg. 19 | 57. बीरबल साहनी सर्वतोमु प्रतिभा के वैज्ञानिक — Pg. 65 |
6. शाही भिखारी — Pg. 19 | 58. श्रीमंत, आपका निमंत्रण-पत्र? — Pg. 67 |
7. कर्तव्यनिष्ठ अध्यापक — Pg. 20 | 59. भगवान् सर्वत्र हैं — Pg. 68 |
8. कर्मयोगी तथा वचन-पालक — Pg. 21 | 60. शिक्षा और व्यवहार — Pg. 69 |
9. आचार्य तथा उनका आचरण — Pg. 22 | 61. ज्ञान का मोल — Pg. 70 |
10. सेवा कार्य और सहिष्णुता — Pg. 23 | 62. ज्ञान में वृद्धि — Pg. 71 |
11. कृतज्ञता-ज्ञापन — Pg. 24 | 63. शिक्षा कब तक? — Pg. 71 |
12. आदर्श गुरु-महर्षि आश्वलायन — Pg. 25 | 64. उच्च कुल के अभिमान से मुति — Pg. 72 |
13. आत्मसंयम — Pg. 26 | 65. परिव्राजक के गुण — Pg. 72 |
14. आदर्श शिक्षक — Pg. 27 | 66. जैसी मन: स्थिति वैसी दृष्टि — Pg. 73 |
15. पढ़ लेना ही पर्याप्त नहीं — Pg. 28 | 67. डॉ. ए.पी.जे. अदुल कलाम — Pg. 74 |
16. बाल गंगाधर तिलक की दृढता — Pg. 29 | 68. वकील बने अध्यापक — Pg. 75 |
17. परिश्रम से आत्मविश्वास — Pg. 29 | 69. भति और सेवा — Pg. 76 |
18. बुढ़िया का ब्रह्म — Pg. 30 | 70. ईमानदारी का पुरस्कार — Pg. 77 |
19. शद, अर्थ, भाव तथा उनके अनुरूप जीवन — Pg. 32 | 71. छोटे का महव — Pg. 79 |
20. भगवान् से पहले देश — Pg. 33 | 72. सहनशीलता — Pg. 80 |
21. महान् देश की महान् बालिका मैना — Pg. 34 | 73. पत्थर से शिक्षा — Pg. 81 |
22. अभाव में भाव — Pg. 34 | 74. मातृभाषा के प्रति प्रेम — Pg. 81 |
23. अध्यापक गेंदालाल दीक्षित — Pg. 36 | 75. श्रद्धावान लभते ज्ञानम् — Pg. 82 |
24. देश का काम अटकता हो तो दल से ऊपर उठकर उस काम को करना चाहिए — Pg. 36 | 76. अस्पृश्य कौन? — Pg. 84 |
25. परिश्रम से प्रतिभा का विकास — Pg. थॉमस एल्वा एडीसन — Pg. 38 | 77. आनंद का मूल्य — Pg. 85 |
26. साधारण से श्रेष्ठता की ओर — Pg. 38 | 78. मन चंगा तो कठौती में गंगा — Pg. 86 |
27. पर्यावरण विषय पर उत्प्रेरक प्रसंग अरिष्टनेमी — Pg. 40 | 79. श्रेष्ठ देव — Pg. 87 |
28. कालसादिक — Pg. 40 | 80. सहृदयता — Pg. 88 |
29. नामदेव — Pg. 41 | 81. सौजन्यता — Pg. 88 |
30. कमाल — Pg. 42 | 82. सौ वर्ष कैसे जिए? — Pg. 89 |
31. संत नामदेव — Pg. 43 | 83. मानव और दानव में फर्क — Pg. 90 |
32. बहुगुणा — Pg. 43 | 84. चरित्र की ज्योति — Pg. 91 |
33. रामकृष्ण परमहंस — Pg. 44 | 85. आत्मा की ज्योति — Pg. 92 |
34. भगवान् शिव और पार्वती — Pg. 45 | 86. विद्याशील रूप की खानि — Pg. 93 |
35. बुद्धि का अभिमान — Pg. 46 | 87. परीक्षा — Pg. 94 |
36. एक ला की घूस अस्वीकार — Pg. 47 | 88. जाकी रही भावना जैसी — Pg. 94 |
37. स्वाभिमान के लिए — Pg. 48 | 89. दृष्टिकोण — Pg. 96 |
38. शिक्षक की प्रेरणा — Pg. 48 | 90. संग तरे — Pg. 97 |
39. शिष्टाचार — Pg. 49 | 91. अन्न, मन, तन — Pg. 98 |
40. आत्मवत् सर्वभूतेषु — Pg. 50 | 92. अद्भुत घटना — Pg. 99 |
41. गुरु-दक्षिणा — Pg. 51 | 93. अभ्यास ही सफलता का मूलमंत्र है — Pg. 100 |
42. एकाग्र साधना बालक आइंस्टाइन की — Pg. 53 | 94. सकारात्मकता — Pg. 101 |
43. एक दहेज ऐसा भी — Pg. 53 | 95. परिवर्तन — Pg. 102 |
44. प्रेम महाविद्यालय की स्थापना — Pg. 54 | 96. स्वस्थ प्रतिस्पर्धा — Pg. 103 |
45. दृढता से आगे बढ़ना — Pg. 55 | 97. जीवन-मूल्यों का एक प्रसंग — Pg. 103 |
46. भाषा प्रेम — Pg. 56 | 98. एक आदर्श गुरुकुल संस्थापक — Pg. 105 |
47. स्वदेशी वेश-भूषा का सम्मान — Pg. 57 | 99. मैं नहीं, तू ही — Pg. 106 |
48. जन्मजात देशभत — Pg. 57 | 100. देना ही ईश वंदना है — Pg. 109 |
49. मातृभूमि का आह्वान — Pg. 58 | 101. दु:ख में भी सुख — Pg. 111 |
50. झूठी गवाही नहीं दी — Pg. 59 |
जन्म : 05 मार्च, 1930 को राजनपुर, डेरागाजी खान (पाकिस्तान) में।
शिक्षा : एम.ए. (दिल्ली), बी.एड.।
कृतित्व : 1955 से 1965 डी.ए.वी. विद्यालय डेराबस्सी पंजाब तथा गीता वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, कुरुक्षेत्र में सन् 1965 से 1990 तक प्राचार्य। हरियाणा शिक्षा बोर्ड की पाठ्य योजना, दिल्ली शिक्षा बोर्ड, दिल्ली शिक्षा कोड समिति, दिल्ली नैतिक-शिक्षा समिति के सदस्य के रूप में कार्य किया। हरियाणा अध्यापक संघ के महामंत्री के रूप में कार्य किया। अखिल भारतीय हिंदुस्तान स्काउट्स गाइड के कार्यकारी अध्यक्ष रहे। विद्या भारती अ.भा. शिक्षण-संस्थान के राष्ट्रीय संस्थान के राष्ट्रीय महामंत्री तथा उपाध्यक्ष रहे। वर्तमान में विद्याभारती की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य। पंचनद शोध-संस्थान के पूर्व में निदेशक रहे। वर्तमान में संरक्षक है। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् (हृष्टश्वक्त्रञ्ज) की कार्यकारिणी के सदस्य रहे। भारतीय शिक्षा शोध-संस्थान, लखनऊ की कार्यकारिणी के सदस्य हैं। वर्तमान में शिक्षा संस्कृति उत्थान के अध्यक्ष एवं शिक्षा बचाओ आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक हैं।
सम्मान-पुरस्कार : भारत स्काउट्स, हरियाणा में महामहिम राज्यपाल द्वारा ‘मेडल ऑफ मैरिट’, हरियाणा शिक्षा बोर्ड द्वारा प्रशंसा प्रमाण-पत्र, श्रेष्ठ शिक्षक हेतु सम्मान। अध्यापन के क्षेत्र में राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार भारत विकास परिषद् हरियाणा उत्तर क्षेत्र द्वारा प्रशस्ति-पत्र। स्वामी कृष्णानंद सरस्वती सम्मान-2010, बीकानेर सम्मान-पत्र, साहित्य श्री सम्मान-2012, स्वामी श्री अखंडानंद सरस्वती विशिष्ट व्यक्तित्व अलंकरण। राष्ट्रीय एवं शैक्षिक आंदोलन में अग्रणी भूमिका हेतु सात बार जेलयात्रा।
प्रकाशन : शिक्षा में त्रिवेणी, शिक्षा परीक्षा तथा मूल्यांकन की त्रिवेणी, प्रेरणा दीप भाग-1 वीरव्रत परम सामर्थ्य, प्रेरणा दीप-2 आत्मवत् सर्वभूतेषु, प्रेरणा दीप भाग-3 माँ का आह्वान, प्रेरणा दीप भाग-4 पूजा हो तो ऐसी, हमारा लक्ष्य, विद्यालयों में संस्कारक्षम वातावरण, विद्यालय गतिविधियों का आलय, शिक्षा का भारतीयकरण, चरित्र-निर्माण तथा व्यक्तित्व के समग्र विकास का पाठ्यक्रम।