₹500
प्रखर वक्ता होना, ओजस्वी वाणी का स्वामी होना, प्रभावी शैली में श्रोताओं को मंत्र-मुग्ध कर देने की क्षमता जिसमें हो, वह सामान्य व्यक्ति की तुलना में अधिक सफल होने की संभावना रखता है। बातचीत करना भाषण की कला सीखने का सबसे पहला सिद्धांत है। शुरुआती दौर में स्वर एवं अंदाज जैसी कलाओं पर ध्यान देने की आवश्यकता नहीं होती है। बातचीत करना कला को सीखने का पहला सिद्धांत है; अर्थात् बोलिए, वाद-विवाद में हिस्सा लीजिए, अपनी प्रतिभा का स्वयं आकलन कीजिए और दर्शकों की आलोचना से सीखने की कोशिश कीजिए।
सवाल है कि खुद की गलतियों को कैसे समझा जाए? इसके लिए कुछ तथ्यों को समझने की आवश्यकता है—महान् वक्ता में कौन से विशेष गुण होते हैं और उन गुणों को कैसे प्राप्त किया जा सकता है? स्वयं के व्यक्तित्व में ऐसी कौन सी कमी है, जो इन गुणों की प्राप्ति में बाधा बन सकती है? इस विषय पर महान् लेखक डेल कारनेगी की सदाबहार एवं सर्वाधिक पसंद की जानेवाली इस पुस्तक के द्वारा कोई भी सामान्य व्यक्ति दर्शकों के समक्ष बोलने के क्षेत्र में कामयाबी के शिखर तक पहुँच सकता है।
______________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________
अनुक्रम
भूमिका — 5
1. दर्शकों के समक्ष भरोसा हासिल करना — 9
2. एक जैसे ढंग की नीरसता — 15
3. प्रभाव एवं वशीभूतता द्वारा कुशलता — 19
4. स्वर बदलने की कुशलता — 25
5. गति में बदलाव की कुशलता — 30
6. विराम एवं ऊर्जा — 35
7. सुर बदलने की दक्षता — 43
8. भाषण-शैली में एकाग्रता — 47
9. बल — 50
10. भावना एवं जोश — 58
11. तैयारी के जरिए बहाव — 64
12. स्वर — 68
13. स्वर का जादू — 76
14. भिन्नता एवं उच्चारण की शुद्धता — 86
15. संकेतों से जुड़े सत्य — 90
16. भाषा-शैली की पद्धति — 98
17. विचार एवं सुरक्षित ऊर्जा — 106
18. विषय एवं तैयारी — 114
19. विवरण के द्वारा प्रभावित करना — 124
20. चित्रण के द्वारा प्रभावित करना — 133
21. वर्णन के द्वारा प्रभावित करना — 147
22. सुझाव के द्वारा प्रभावित करना — 157
23. वाद-विवाद के द्वारा प्रभावित करना — 170
24. उत्साह द्वारा प्रभावित करना — 175
25. जन-समूह को प्रभावित करना — 182
26. पंख वाले घोड़े की सवारी — 188
27. शदकोश का विकास — 196
28. स्मरण-शति का प्रशिक्षण — 203
29. सही सोच एवं व्यतित्व — 211
30. भोज के उपरांत एवं अन्य मौकों पर बोलना — 216
31. बातचीत को प्रभावित बनाना — 219
(24 नवंबर, 1888-1 नवंबर, 1955)
विश्व-प्रसिद्ध अमेरिकी लेखक एवं व्याख्यानकर्ता, जिन्होंने व्यक्तित्व विकास, सेल्समैनशिप प्रशिक्षण, कॉरपोरेट ट्रेनिंग, सार्वजनिक भाषण कला तथा आत्मविकास के विभिन्न कोर्स प्रारंभ किए, जो अत्यंत लोकप्रिय हुए। उनकी पहली पुस्तक ‘हाउ टु विन फ्रेंड्स ऐंड इन्फ्लुएंस पीपल’ 1936 में प्रकाशित हुई, जिसे जबरदस्त सफलता मिली और वह अंतरराष्ट्रीय बेस्टसेलर पुस्तक बनी तथा आज तक बनी हुई है। उन्होंने अब्राहम लिंकन की एक जीवनी ‘लिंकन ः दि अननोन’ के अलावा कई अन्य बेस्टसेलर पुस्तकें लिखी हैं।