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आज संसार जिसजिस संकट से जूझ रहा है, वह मुख्यतः पहचान का संकट है। लोग स्वयं की पहचान लिंग, जाति, धर्म और राष्ट्रीयता जैसे सीमित लक्षणों से करते हैं और भूल जाते हैं कि वे सार्वभौमिक आत्मा का हिस्सा हैं। इन सीमित पहचानों से अंतरराष्ट्रीय और व्यक्तिगत स्तर पर संघर्ष उत्पन्न
होते हैं।
विविध पृष्ठभूमि के लोगों को साथ लाने और उन्हें अपनी सार्वभौमिक शिक्षा से संगठित करने के लिए दादा जे.पी. वासवानी कई दशकों से अनवरत कार्य कर रहे हैं। इसी दिशा में यह पुस्तक एक स्तुत्य प्रयास है। गहन ज्ञान की छाप छोड़ने में कहानियाँ युगोंयुगों से अत्यधिक प्रभावशाली व मनोरंजक माध्यम रही हैं।
हमें पूर्ण विश्वास है कि दादा वासवानी की ज्ञानधारा से सृजित इस संकलन की प्रेरक कहानियाँ आपके जीवन को नई ऊँचाई देंगी, आपके भीतर की मनुष्यता को जाग्रत् करेंगी और आप ईश्वर की अनुपम भेंट मानव जीवन को देवत्व देने के मार्ग पर अग्रसर होंगे। जीवन को आदर्श बनानेवाली कहानियों में सन्निहित ज्ञान को ग्रहण करते हुए पाठक लाभान्वित होंगे, आनंदित होंगे।
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अनुक्रम
भूमिका : गुरुदेव श्री श्री रविशंकरजी — 11
लेखक की प्रस्तावना — 13
ईसाई धर्म
संक्षिप्त परिचय — 19
1. मेरी पसंदीदा न्यू टेस्टामेंट की कहानियाँ — 21
2. मेरी-ईसा की माँ — 31
3. गॉस्पेल (ईसा चरित्र और शिक्षाएँ) में मेरी नाम की अविस्मरणीय महिलाएँ — 38
4. संत जिसने ईसा मसीह का बपतिस्मा (दीक्षा-संस्कार) किया — 46
5. स्वर्ग की पुन: प्राप्ति : ईसा का कष्ट और पुनर्जीवन — 53
कन्यूशीवाद
संक्षिप्त परिचय — 65
1. कंयूशियस कैसे शिक्षक बना — 69
2. जि गाँग ने गुलामों का उद्धार किया — 76
3. मेनसियस की माँ — 79
4. सम्राट् यू शुन — 83
5. अच्छाई के बीज बोना — 89
इस्लाम धर्म
संक्षिप्त परिचय — 95
1. मुहम्मद बने पैगंबर — 99
2. अमीरी और गरीबी — 105
3. तीन मित्र — 108
4. अल्लाह उनसे प्रेम करता है, जो अपने भाइयों से प्रेम करते हैं — 113
5. पहले खलीफा की सादगी — 118
ताओवाद
संक्षिप्त परिचय — 127
1. पान कु : सृष्टि का ताओ मिथक — 129
2. राह का अनुसरण — 132
3. सौभाग्य-दुर्भाग्य — 135
4. काम और आराम — ताओ विधि — 137
5. आदमी, जो स्वयं से भागा — 140
चीनी बौद्ध मत (ज़ेन)
संक्षिप्त परिचय — 145
1. स्वर्ग-नर्क — 149
2. वाद-विवाद जीतना — 151
3. गूढ़ शिक्षा — 154
4. चोरी या उपहार — 158
5. अदृश्य सूत्र — 161
पारसी धर्म
संक्षिप्त परिचय — 167
1. पारसी धर्म अनुसार सृष्टि रचना की दंतकथा — 171
2. जॉरोएस्टर का जीवन — 175
3. गेहूँ का दाना — 181
4. सद्दा मामा — 185
5. जॉरोएस्ट्रियंस (पारसी) भारत कैसे आए — 189
उपसंहार
साधु वासवानी
संक्षिप्त परिचय — 195
1. आपका सामान कहाँ है? — 199
2. या चोर तुम्हारा भाई नहीं? — 203
3. जीवन है देने का नाम — 207
4. गरीबों की सेवा है ईश्वर की पूजा — 210
5. उसका नाम था करुणा! — 212
दादा जे.पी. वासवानी भारत के सर्वाधिक सम्मानित आध्यात्मिक विभूतियों में से एक हैं। वे प्रसिद्ध साधु वासवानी मिशन के प्रमुख संचालक हैं, जो कि एक अंतरराष्ट्रीय, लाभ-निरपेक्ष, समाज कल्याण और सेवा से जुड़ा संगठन है। इसका मुख्यालय पुणे में है और दुनिया भर में इसके कई सक्रिय केंद्र हैं।
2 अगस्त, 1918 को हैदराबाद-सिंध में जन्मे दादा एक बहुत होनहार छात्र थे, जिन्होंने सुनहरा शैक्षणिक कॅरियर छोड़कर आज के बेहद सम्मानित संत, अपने चाचा और गुरु साधु वासवानी के प्रति अपना जीवन समर्पित कर दिया।
शाकाहार के प्रबल समर्थक दादा ने गुरुदेव साधु वासवानी के रास्ते पर चलते हुए, सभी जीवों के प्रति सम्मान के संदेश को फैलाना ही अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया। उनके प्रेरक नेतृत्व में साधु वासवानी मिशन ने आध्यात्मिक प्रगति, शिक्षा, चिकित्सा, महिला सशक्तीकरण, ग्रामोत्थान, राहत और बचाव, पशु कल्याण, ग्रामीण विकास तथा समाज के वंचित वर्गों की सेवा के विभिन्न सेवा-कार्यक्रमों के लिए निरंतर गंभीर और प्रबल काम किए हैं। दादा अपने गुरु के इन शब्दों पर दृढ विश्वास करते हैं—‘निर्धनों की सेवा ही ईश्वर सेवा है।’
विनोदप्रिय वक्ता और प्रेरक लेखक दादा ने सौ से ज्यादा पुस्तक-पुस्तिकाएँ लिखी हैं और 98 वर्ष की उम्र में भी उनकी ऊर्जा और उत्साह किसी युवा से कम नहीं हैं। आध्यात्मिक गुरु, शिक्षाविद् और दार्शनिक दादा जे.पी. वासवानी भारत के ज्ञान और वैश्विक भावना के सच्चे और आदर्श प्रतिरूप हैं।ष्