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भारत दुनिया के सबसे बड़े मध्य वर्ग का देश है । दुनिया के सबसे ज्यादा गरीबों (साठ करोड़ से ज्यादा) का भी देश यही है, जहाँ उनतीस करोड़ लोग न पढ़ सकते हैं, न लिख सकते हैं । हर तीन मिनट में एक बच्चा अतिसार जैसी सामान्य सी बीमारी से मर जाता है । ये वही ओंकड़े हैं जिन्हें ज्यादातर मध्य वर्गीय भारतीय नजरअंदाज करते हैं । विशेष रूप से भारत में उदारीकरण के बाद ऐसा हुआ है ।
अपने तरह की अलग इस पुस्तक ' आदर्श नागरिक जीवन ' में लेखकद्वय ने हमारे सामने इस बात को रखा है कि मध्य वर्ग की यह उदासीनता कितनी घातक है और राष्ट्रीय विकास की प्रक्रिया में मध्य वर्ग को किस प्रकार शामिल किया जाना चाहिए । जिन समस्याओं से मध्य वर्ग जूझ रहा है और जिनके संभावित समाधान भी हैं, उनमें से कुछ ये हैं-
. सरकारी संस्थानों की अक्षमता व नाकारापन को देखते हुए उन्हें जवाबदेह बनाने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
. न्यायिक व्यवस्था और प्रेस के माध्यम से भ्रष्टाचार व अन्याय से कैसे लड़े?
. छोटे-छोटे कामों में भागीदारी, जैसे एक व्यक्ति को साक्षर बनाना आदि से कुछ अलग करके दिखा सकते हैं?
. मौजूदा गैर सरकारी संगठनों के साथ कैसे तालमेल बनाएँ या उनकी मदद करें?
इसके अलावा कुछ व्यावहारिक कार्यों, बातों की एक ऐसी सूची भी दी गई है जो हमें और अधिक जिम्मेदार नागरिक, इनसान और समाज का निर्माण करनेवाला बनने को प्रेरित करती है ।
यह एक समयोचित और अमूल्य पुस्तक है, जो भारत के मध्य वर्गीय लोगों को बेहतर और जवाबदेह नागरिक बनने का रास्ता दिखाती है ।
पवन वर्मा दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से इतिहास में स्नातक होने के साथ ही दिल्ली विश्वविद्यालय से विधि में भी स्नातक हैं। भारतीय विदेश सेवा के सदस्य के रूप में वे मॉस्को, संयुक्त राष्ट्र संघ के भारतीय अभियान में न्यूयॉर्क, लंदन के नेहरू सेंटर में बतौर निदेशक और भारत के उच्चायुक्त के रूप में साइप्रस में अपनी सेवाएँ प्रदान कर चुके हैं। वर्तमान में भूटान में भारत के राजदूत हैं। सर्वाधिक बिक्रीवाली पुस्तकों में एक ‘द ग्रेट इंडियन मिडिल क्लास’ के अलावा उन्होंने ‘गालिब : द मैन, द टाइम्स’, ‘कृष्णा: द प्लेफुल डिवाइन’, ‘युधिष्ठिर एंड द्रौपदी : ए टेल ऑफ लव, पैशंस एंड द रिडल्स ऑफ एक्सिसटेंस’, ‘द बुक ऑफ कृष्णा’ एवं ‘मैक्सिमाइज योर लाइफ’ जैसी पुस्तकें भी लिखी हैं।