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डैनी अमीरों का नौशा बनकर दूर कहीं चमकते सितारे से उठी झंकार के साथ बह गया था। झंकार खत्म नहीं हुई थी, पर उसका बहना ठहर गया था। उसके पैर जम रहे थे और हालाँकि दूर सितारे की सदा उसके जेहन में अब भी गूँज रही थी, पर उसकी कंपन अब महसूस नहीं हो रही थी।
डैनी ने गिरिजा को बेहद चाहा था। उसका साथ पाकर उसे लगा था कि दुनिया में उससे बड़ा खुशनसीब कोई नहीं था। वह गिरिजा में घुला जा रहा था, पर बुलावा उसको खींचे लिये जा रहा था। गिरिजा उसका हाथ पकड़कर अपने पास बैठा सकती थी, पर उसने हाथ को धीरे-धीरे छूटने दिया था। वह एक ऐसा ख्वाब थी, जो हकीकत के छोर को छूते ही सहम गई थी; पर जब तक वह हकीकत और अफसाने के बीच थी, उसने डैनी को अपने मखमली आगोश में बेपनाह रोमांच दिया था।
सच्चे प्रेम को एक अलग, विशिष्ट और विचित्र ढंग से रेखांकित करता अत्यंत पठनीय उपन्यास।
अश्विनी भटनागर सुविख्यात लेखक और पत्रकार हैं। जहाँ एक तरफ वह टाइम्स ऑफ इंडिया और ट्रिब्यून जैसे अखबारों में संपादक की भूमिका में रहे हैं तो दूसरी तरफ हिंदी पत्रिकाओं और अखबारों में पिछले तीन दशकों से नियमित रूप से प्रकाशित होते रहे हैं।
अब तक उनकी आठ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। ‘द हाइ बाउंसिंग लवर’ उनका पहला उपन्यास था। न्यू यॉर्क लिटरेरी एजेंसी ने इसकी समीक्षा करते हुए लिखा था, ‘दिस इज एन अमेजिंग बुक। द करेक्टर्स आर फेबुलस एज इज द प्लॉट। द रीडर्स विल ट्रूली लव दिस मैटीरियल।’ ‘अद्भुत प्रेम की विचित्र कथा’ इसी उपन्यास का हिंदी अनुवाद है।
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