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जीवन में कुछ-न-कुछ तो अधूरा रह ही जाता है। कई सपने पूरे होते हैं और कई सपने अधूरे रह जाते हैं। फिर भी ऐसे तमाम पन्नों से भरते हुए जिंदगी की पुस्तक पूरी तो होती है। इसी भाव को ध्यान में रखते हुए मीडियाकर्मी रवि मिश्रा की कविताओं का यह संकलन प्रस्तुत है। खास बात यह है कि यह संकलन किसी परिपक्वता या पूर्णता में नहीं बना, बल्कि कवि जिंदगी में जो कुछ भी देखते गए, सुनते गए और समझते गए, उसी को शब्दो में सहेजने का एक प्रयास है। ‘अधूरे से पूरे’ में जीवन के कई पड़ाव, उम्र, अनुभव और रिश्तों के भाव की झलक है, जिसे जब-तब, जहाँ-तहाँ महसूस किए पलों को जोड़कर तैयार किया है।
अपार संभावनाओं के कवि की भावपूर्ण कविताओं का पठनीय संकलन।