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Author Ed. Prof. Nand Kishore Pandey
Features
  • ISBN : 9789355628213
  • Language : HIndi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Ed. Prof. Nand Kishore Pandey
  • 9789355628213
  • HIndi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2024
  • 272
  • Soft Cover
  • 250 Grams

Description

"यह पुस्तक हिंदी साहित्य के आधुनिक काल के कुछ चयनित लेखकों पर केंद्रित है। प्रो. नंद किशोर पांडेय केंद्रीय हिंदी संस्थान के निदेशक के रूप में एक साथ आठ पत्रिकाओं के प्रधान संपादक रहे। वे सात वर्षों तक भारतीय हिंदी परिषद् प्रयागराज के सभापति रहे हैं। 'हिंदी अनुशीलन' के प्रधान संपादक के रूप में 18 अंकों के संपादकीय उन्होंने लिखे। ये संपादकीय किसी एक साहित्यकार पर केंद्रित होते थे। इस पुस्तक के अनेक लेख संपादकीय के रूप में लिखे गए हैं। उन्होंने संस्थान के निदेशक के रूप में छह पत्रिकाएँ प्रारंभ कीं। उन पत्रिकाओं के अकादमिक, भौगोलिक क्षेत्र के अनुसार अनेक विषयों पर लिखे गए शोधालेखों में से कई इस पुस्तक में संगृहीत हैं।

प्रो. नंद किशोर पांडेय के लेखन के मूल में सामाजिक समरसता, संस्कृति-बोध तथा भारत की अस्मिता है। संपूर्णता में उनका समग्र लेखन भारतबोध की अभिव्यक्ति है। इस पुस्तक के सभी 29 लेखों में उनकी सांस्कृतिक दृष्टि को देखा जा सकता है। प्रथम लेख भारतेंदु हरिश्चंद्र का गद्य लेखन तथा उनकी पत्रकारिता पर केंद्रित है। भारतेंदु से तेजेंद्र शर्मा तक के साहित्य पर उनकी दृष्टि गई है। इसमें ऐसे कई लेखक हैं, जो हिंदी के बड़े साहित्यकार हैं, लेकिन कई कारणों से उनकी चर्चा कम हुई है। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और संस्कृति केंद्रित विमर्श की दृष्टि से यह पुस्तक पठनीय और संग्रहणीय है।"

The Author

Ed. Prof. Nand Kishore Pandey
प्रो. नंद किशोर पाण्डेय
भारतीय साहित्य के चर्चित और प्रतिष्ठित विद्वान् हैं। भारतीय मध्यकालीन साहित्य के लेखक और वक्ता के रूप में विशिष्ट पहचान। राजीव गांधी विश्वविद्यालय, ईटानगर तथा राजस्थान विश्वविद्यालय में हिंदी विभागाध्यक्ष रहे। ‘संत रज्जब’, ‘संत साहित्य की समझ और दादूपंथ के शिखर संत’ उल्लेखनीय पुस्तकें हैं। इन्होंने अनेक देशों की अकादमिक यात्राएँ की हैं। केंद्रीय हिंदी संस्थान के निदेशक के रूप में इन्होंने अपनी बहुमूल्य सेवाएँ दीं। संप्रति : कला संकाय में राजस्थान विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता और शोध निदेशक।
 
प्रो. दीपेंद्र सिंह जाडेजा
हिंदी और गुजराती साहित्य के चर्चित अध्येता हैं। वर्तमान में कला संकाय में महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय, बड़ौदा के डीन तथा  पोस्ट ग्रेजुएशन कॉउंसिल के मेंबर। मध्यकालीन हिंदी साहित्य और गुजराती लोक-साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य। अनेक महत्त्वपूर्ण पुस्तकें प्रकाशित।

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