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"यह पुस्तक हिंदी साहित्य के आधुनिक काल के कुछ चयनित लेखकों पर केंद्रित है। प्रो. नंद किशोर पांडेय केंद्रीय हिंदी संस्थान के निदेशक के रूप में एक साथ आठ पत्रिकाओं के प्रधान संपादक रहे। वे सात वर्षों तक भारतीय हिंदी परिषद् प्रयागराज के सभापति रहे हैं। 'हिंदी अनुशीलन' के प्रधान संपादक के रूप में 18 अंकों के संपादकीय उन्होंने लिखे। ये संपादकीय किसी एक साहित्यकार पर केंद्रित होते थे। इस पुस्तक के अनेक लेख संपादकीय के रूप में लिखे गए हैं। उन्होंने संस्थान के निदेशक के रूप में छह पत्रिकाएँ प्रारंभ कीं। उन पत्रिकाओं के अकादमिक, भौगोलिक क्षेत्र के अनुसार अनेक विषयों पर लिखे गए शोधालेखों में से कई इस पुस्तक में संगृहीत हैं।
प्रो. नंद किशोर पांडेय के लेखन के मूल में सामाजिक समरसता, संस्कृति-बोध तथा भारत की अस्मिता है। संपूर्णता में उनका समग्र लेखन भारतबोध की अभिव्यक्ति है। इस पुस्तक के सभी 29 लेखों में उनकी सांस्कृतिक दृष्टि को देखा जा सकता है। प्रथम लेख भारतेंदु हरिश्चंद्र का गद्य लेखन तथा उनकी पत्रकारिता पर केंद्रित है। भारतेंदु से तेजेंद्र शर्मा तक के साहित्य पर उनकी दृष्टि गई है। इसमें ऐसे कई लेखक हैं, जो हिंदी के बड़े साहित्यकार हैं, लेकिन कई कारणों से उनकी चर्चा कम हुई है। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और संस्कृति केंद्रित विमर्श की दृष्टि से यह पुस्तक पठनीय और संग्रहणीय है।"