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विज्ञान की अंधाधुंध दौड़, मनुष्य का अपरिमित लालच, तेजी से क्षत-विक्षत होनेवाले प्राकृतिक संसाधन और प्रदूषण से भरा संसार कैसा चित्र उभारते हैं? जिस गति से हम विकास की ओर बढ़ रहे हैं, क्या उसी गति से विनाश हमारी ओर नहीं बढ़ रहा है? फिर नतीजा क्या होगा? मानवता के सामने यह एक विराट् प्रश्नचिह्न है। यदि इसका उचित समाधान कर लिया गया तो ठीक, वरना संपूर्ण जीव-जगत् एक विराम की स्थिति में खड़ा हो जाएगा। प्रश्नचिह्न या पूर्ण विराम! कौन-सा विकल्प चुनेंगे हम?
प्रस्तुत पुस्तक में इन्हीं कुछ महत्त्वपूर्ण प्रश्नों को सामने रखकर पाठकों से सीधा संवाद स्थापित करने की चेष्टा की गई है।
पुस्तक स्वयं में बहुआयामी है, परंतु इसकी सार्थकता तभी है, जबकि पाठक इसमें उठाए गए बिंदुओं से मन से जुड़ जाएँ। यदि पर्यावरण हमारे चिंतन का केंद्रबिंदु है, तब यह पुस्तक गीता-कुरान की भाँति पर्यावरण धर्म की संदेश-वाहिका समझी जाएगी। हमारा विनीत प्रयास यही है कि पाठक आनेवाली शताब्दी की पदचाप को पूर्व सुन सकें और रास्ते के काँटों को हटाकर संपूर्ण जीव-जगत् के जीवन को तारतम्य और गति प्रदान कर सकें।
जन्म : 16 मार्च, 1939
शिक्षा : एम.ए. ( राजनीति विज्ञान), एम.एड. ( रिसर्च स्कॉलर) ।
कार्यक्षेत्र : अध्यापन ।
सम्मान : राजस्थान हिंदी ग्रंथ अकादमी, जयपुर द्वारा रचनाधर्मिता, महत्वपूर्ण एवं दुर्लभ ज्ञान की पुस्तक लेखन पर सम्मान । राजस्थान सरकार द्वारा शिक्षक पुरस्कार । भारत सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा पर्यावरण पुस्तक लेखन पर राष्ट्रीय स्तर का प्रथम पुरस्कार ।
राजस्थान सरकार पर्यावरण विभाग द्वारा पत्रवाचन पर राज्यस्तरीय सम्मान ।
राष्ट्रीय एवं प्रांतीय स्तर की पत्र पत्रिकाओं में सैकडों लेख प्रकाशित ।
कृतियाँ : जनसंख्या प्रदूषण और पर्यावरण, जनसंख्या विस्फोट और पर्यावरण, मानव और पर्यावरण, असंतुालित पर्यावरण और विश्व, पर्यावरण एवं महिलाएँ, पृथ्वी सौर कुकर कैसे?, प्रौढ़ एवं पर्यावरण, पर्यावरण शिक्षा, वर्तमान परिप्रेक्ष्य में पर्यावरण ।
संपर्क : कीकाणी व्यासों का चौक बीकानेर ।
जन्म : 19 अगस्त, 1953 ।
शिक्षा : एमए. (राजनीतिशास्त्र), राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर (स्नातक परीक्षा में स्वर्ण पदक प्राप्त) ।
कार्यक्षेत्र एवं धारित पद : भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी, झालावाड़ एवं पाली में जिला कलेक्टर, निदेशक, प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षी (राजस्थान) । सम्मान : वृक्ष मित्र पुरस्कार से सम्मानित ।
अभिरूचियाँ : पर्यावरण एव अंतरराष्ट्रीय राजनीति संबंधी अध्ययन एवं लेखन-कार्य, कई स्तरीय पत्रिकाओं में आलेखों का प्रकाशन, एक बालक एक वृक्ष अभियान के पुरोधा ।
संपादन एवं शिक्षण अनुभव : (अ) ' शिविरा ' एवं ' नया शिक्षक ' के प्रधान संपादक (1991) । (आ) भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयन से पूर्व राजस्थान विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापक/ प्रवक्ता ।