₹200
आज हम आजाद देश में रह रहे हैं, लेकिन जिन्होंने आजादी की सुबह लाने के लिए खुद को घने अंधकार की काली रात का सामना किया है, गुलामी के अँधेरों को चीरने के लिए खुद को, खुद के सपनों को जलाया है। उसी की लौ से आजादी की यह सुबह मिली। इसी मिली हुई सुबह का तकाजा करें।
आजादी मिलने के बाद जो देश-प्रेम के जज्बे का अधूरा तकाजा है—देश, विश्व में सर्वोच्च रहे, शिखर को छुए; आजाद देश का प्रत्येक नागरिक, किसी भी जाति-धर्म का हो, प्रकृति प्रदत्त ज्ञान की दीपशिखा से कला, विज्ञान, खेल, शिक्षा, अध्यात्म में विश्व में अग्रणी स्थान पर रहें। इस अधूरे तकाजे को हम पूरा करें, प्राणपण से जुट जाएँ। इसी मुकाम को पाकर हम शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि दे सकेंगे; अधूरे तकाजे पूरे कर सकेंगे।
देशभक्ति, राष्ट्रप्रेम और कर्तव्यबोध से परिपूर्ण भावप्रवण कविताओं का पठनीय संकलन।