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अदृश्य किनारा’ संग्रह की अधिकतर कहानियों की पृष्ठभूमि में प्रवासी पुट है। लेखिका का कहना है कि वह अलग हो सकता है, पर मैं उसे अचीन्हा या आगंतुक नहीं छोड़ना चाहती, क्योंकि संवेदना सार्वभौमिक होती है। मनुष्य विश्व के किसी भी कोने में रहे, उसे नचानेवाली प्रवृत्तियाँ हर जगह समान होती हैं। विभिन्न परिवेशों से गुजरकर वह किस तरह परिवर्तित होता है और परिवर्तित करता है, उसे दूर से देखकर भी उसे जीती हूँ और कहानियाँ लिखती हूँ।
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अनुक्रम
दो शब्द — Pgs. 7
1. विकल्प — Pgs. 11
2. उड़के किवाड़ — Pgs. 30
3. एक निर्विकार — Pgs. 37
4. चिट्ठियाँ — Pgs. 46
5. सूर्य अस्त नहीं होता — Pgs. 56
6. तीन हफ्ते — Pgs. 63
7. जिंदगी को... 71
8. वह जो अटूट नहीं... 77
9. मरुफ — Pgs. 87
10. अदृश्य किनारा — Pgs. 95
11. सर्वेषाम् शुभम् भव! — Pgs. 118
12. ई-मेल — Pgs. 121
13. कैसे भी... 130
14. क्वालिटी टाइम — Pgs. 136
15. अलमारी — Pgs. 142
16. खड़े होने की प्रतीक्षा — Pgs. 149
जन्म : गोहद, जिला-भिंड (म.प्र.)।
शिक्षा : स्नातिका, वैद्युत् अभियांत्रिकी, स्नातकोत्तर, डिजिटल डिजाइन, सैन होजे स्टेट यूनिवर्सिटी, कैलीफोर्निया।
कृतियाँ : ‘खुले पृष्ठ’ (खंड काव्य), ‘शेष फिर’ (कहानी-संग्रह), बूँद का द्वंद्व (कविता-संग्रह)।
1998 में इंटरनेट पर ‘उद्गम’ नाम की हिंदी की साहित्यिक वैबजीन की शुरुआत तथा 2004 तक संपादन।
2004 में सैन होजे, कैलीफोर्निया में 96.1 एफ.एम. से लोकप्रिय हिंदी रेडियो कार्यक्रम ‘उपहार’ का प्रसारण और संचालन। अंग्रेजी नाटकों ‘दि काईट एंड द स्चान’ तथा ‘मॉम्स मॉम’ का जुलाई 2010 में तथा हिंदी नाटक ‘तलाश वजूदों की’ (सह-लेखन श्री लोकेश जौहरी) का कैलीफोर्निया में मंचन।
संप्रति : हार्डवेयर इंजीनियर।
संपर्क : 2839 नारकैस्ट ड्राइव, सैन होजे, कैलिफोर्निया, य़ू एस.ए.।
इ-मेल : anshu@udgam.com