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अंग्रेज़ी-हिंदी कोश के निर्माता डॉ. बदरीनाथ कपूर इस दिशा में गत चार-पाँच दशकों से सक्रिय हैं । कोश- कला के दो दिग्गज विद्वानों-आचार्य रामचंद्र वर्मा और डॉ. हरदेव बाहरी के शिष्य होने के कारण डॉ. कपूर को कोश- कला का ज्ञान विरासत में मिला है । इस कोश की कुछ विशेषताओं का उल्लेख डॉ. कपूर ने अपनी प्रस्तावना में कर ही दिया है । प्रत्येक शब्द अनेक अर्थ-छटाओं में प्रयुक्त होता है । इस कोश में इन सभी छटाओं के हिदी रूप दिए हैं । साथ में उनके विशिष्ट प्रयोग भी हिदी रूपों सहित दिए हैं । हिंदी के बढ़ते अंतरराष्ट्रीय महत्त्व को देखते हुए और भारत में अंग्रेज़ी के महत्त्व को देखते हुए यह कोश निश्चित रूप से नई दिशा प्रस्तुत करता है । निस्संदेह यह कोश कोश- कला का एक जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करता है । आशा है जन सामान्य में इस कोश का स्वागत होगा ।
अंग्रेज़ी के शब्दों का ठीक रूप से उच्चारण करना सरल नहीं । डॉ. कपूर द्वारा दिए हुए उच्चारण से पाठकों को सुविधा मिलेगी । इस विकट समस्या को सुलझाने का भी डॉ. कपूर ने प्रशसनीय प्रयत्न किया है ।
-कैलाशचंद्र भाटिया
पूर्व प्रोफेसर, लालबहादुर शास्त्री
राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी
कोश कला के आचार्य श्री रामचंद्र वर्मा के सुयोग्य शिष्य डॉ. बदरीनाथ कपूर हिंदी की शब्द सामर्थ्य को प्रकट और प्रतिष्ठापित करने के अनुष्ठान में आधी सदी से जुटे हुए हैं। डॉ. कपूर की अब तक 32 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं जिनमें से अधिकांश शब्दकोश, 3 जीवनियाँ और 5 अनुवाद ग्रंथ हैं। डॉ. कपूर ने आचार्य रामचंद्र वर्मा के तीन महत्त्वपूर्ण कोशों का संशोधन-परिवर्द्धन कर उनकी स्मृति और अवदान को अक्षुण्ण बनाए रखने का स्थायी महत्त्व का कार्य किया है।