ऐतिहासिक कथानक 'अग्निमय बुद्ध' आचार्य कुमारिल भट्ट की क्रांतिकारी जीवनलीला को प्रकाशित करता है। वैदिक धर्म और मानव कल्याण हेतु उन्होंने अपना जीवन समर्पित किया और इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु उन्होंने अग्नि-समाधि ली। बौद्धों के द्वारा उनकी हत्या और उन्हें कलंकित करने के अनेक षड्यंत्र किए गए। लोग महर्षि पतंजलि, आदि शंकराचार्य, मध्वाचार्य और रामानुजाचार्य को तो जानते हैं, लेकिन आचार्य कुमारिल भट्ट को बहुत कम। आचार्य कुमारिल भट्ट ने नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति को शास्त्रार्थ में पराजित कर, उनके ज्ञान की सत्ता को धराशायी कर फिर से वैदिक कर्मकांड के गौरव को पुनर्स्थापित किया। लेकिन इस कार्य के लिए उन्हें अपना जीवन बलिदान करना पड़ा। अग्नि समाधि लेकर उन्होंने मानव समाज को अहिंसा, त्याग, साहस और समर्पण का उपदेश दिया। यह उपन्यास वैदिक मीमांसा दर्शन और बौद्ध दर्शन का भी परिचय देता है, जिससे पाठकों का ज्ञान बढ़ेगा।