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अहंकार रूपी शत्रु का विरोध सभी करेंगे, लेकिन जहाँ अपने भीतर छिपे बैठे अहंकार रूपी शत्रु को मारने की बात आएगी, सब बगलें झाँकने लगेंगे। क्योंकि किसी-न-किसी रूप में अहंकार रूपी शत्रु हम सभी के अंदर छिपा होता है और जब-तब मौका देखकर सिर उठा लिया करता है। इसका पूरी तरह दमन करना असंभव तो नहीं, लेकिन कठिन जरूर है।
अहंकार का निषेध करना जरा भी कठिन नहीं है। बस सकारात्मक जीवनशैली अपनाकर हम अपने अहंकार पर पूरी तरह काबू पा सकते हैं। हमारे धर्म-शास्त्रों में अहंकार और उससे उपजने वाले कष्ट-क्लेशों को अनेक कथा-कहानियों, वृत्तांतों, संस्मरणों के माध्यम से दिग्दर्शित किया गया है।
प्रस्तुत पुस्तक में अहंकार से उपजनेवाली कुंठा, दुष्प्रभाव व अन्य बुराइयों का वर्णन और उनके निवारण के उपाय सुझाए गए हैं। अनेक पौराणिक कथाओं द्वारा भी अहंकार के निषेध के बारे में बताया गया है। अहंकार की विश्रांति हेतु यह एक उपयोगी पुस्तक है।
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अनुक्रम
अपनी बात —Pgs. 5
यथार्थ जीवनयापन —Pgs. 9
झुकना सीखें —Pgs. 11
अहंकार मिथ्याभिमान —Pgs. 14
अहंकार से मुक्त कौन —Pgs. 17
महाभारत में अहंकार का निषेध —Pgs. 20
अहंकार बुरी बला —Pgs. 23
क्षमताओं पर अहंकार नहीं —Pgs. 26
अहंकार नहीं, विनम्रता —Pgs. 29
अहंकार सिद्धि से आत्मसंतुष्टि दूर —Pgs. 32
अहंकार दीमक की तरह खाता है —Pgs. 35
अहंकार भूलों का निषेध करता है —Pgs. 38
अहंकारी व्यक्ति के लक्षण —Pgs. 40
सफलता में बाधक —Pgs. 45
खतरनाक अवगुण —Pgs. 48
अहंकार स्वयं को जलाता है —Pgs. 52
अहंकार के पागलपन से बचें —Pgs. 61
सफलता पर अहंकार नहीं —Pgs. 64
दुलहन का झूठा अहंकार —Pgs. 67
अहंकार का भ्रम —Pgs. 69
मानसिकता में बदलाव —Pgs. 72
अहंकार असफलता की सीढ़ी —Pgs. 74
आत्मविश्वास से दूर करें अहंकार —Pgs. 77
कैसे पैदा होता है अहंकार —Pgs. 80
अहंकार की विषैली आग —Pgs. 83
कर्तव्य-विमुख न हों —Pgs. 86
अहंकार एक अभिशाप —Pgs. 89
अहंकार एक रोग —Pgs. 93
अहंकार में आराम हराम —Pgs. 96
अहंकारी अवगुणों की खान —Pgs. 99
अहंकार अवगुणों का बीज —Pgs. 102
दुकान पर नहीं मिलता अहंकार —Pgs. 105
अहंकार : समाधान की ओर बढ़ना —Pgs. 107
अपनी क्षमता को पहचानना —Pgs. 109
वाणी और व्यवहार में संयम —Pgs. 111
क्षमता का विकास कीजिए —Pgs. 114
अहंकार का कड़वा फल —Pgs. 116
अहंकार प्रेम की अनुपस्थिति का परिणाम —Pgs. 118
आत्मीयता और मित्रता का भाव —Pgs. 120
अहंकार और स्वाभिमान में अंतर —Pgs. 124
‘मैं’ और ‘मेरी’ से रहित —Pgs. 129
अहंकार इनसान का शत्रु —Pgs. 134
अहंकार का नशा तेजाब की तरह —Pgs. 137
राजेश अग्रवाल एक प्रसिद्ध, अनुभवी मोटीवेशनल स्पीकर, लेखक, कवि एवं लाइफ-कोच हैं। उनके अनुसार हमारी सोच एवं दृष्टिकोण से सकारात्मक परिवर्तन और हमारा नया भाग्य निर्माण होता है। ‘बिजनेस टुडे’ मैगजीन ने उन्हें ‘डॉ. डेस्टिनी’ का खिताब दिया है। वह ट्रेनिंग और शिक्षा के क्षेत्र में सन् 1994 से कार्य कर रहे हैं।
राजेश अग्रवाल ‘रीबर्थ अकादमी’ के संस्थापक हैं, इस संस्था का उद्देश्य हर व्यक्ति के जीवन और व्यवसाय में सकारात्मक सुधार और प्रचुरता लाना है! प्रत्येक वर्ष राजेश कई निजी और सरकारी संस्थाओं, विश्वविद्यालयों और सामाजिक संस्थाओं में अपनी कार्यशैली व लैक्चर के लिए आमंत्रित किए जाते हैं। राजेश अपने कार्यक्रम में यह बताते हैं कि हम अपने सपनों और लक्ष्य को कैसे प्राप्त करें तथा अपने क्षेत्र में एक उत्तम कोटि का लीडर कैसे बनें? राजेश ने अपने कार्य-क्षेत्र में गहरा अध्ययन और अनुसंधान किया, जिसका प्रभाव उनके सेमिनार में दखने को मिलता है एवं लोगों को जीवन परिवर्तन में लाभान्वित करता है।
‘Rajesh Aggarwal’ यू-ट्यूब चैनल पर 1,46,000 सब्सक्राइबर हैं और वहाँ पर उपलब्ध करीब 250 मोटीवेशनल वीडियो को 125 से ज्यादा देशों में देखा जाता है। राजेश का ‘The Rajesh Aggarwal’ फेसबुक पेज भी अत्यधिक प्रसिद्ध है।
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