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Ajneya Ke Samajik-Sanskritik Sarokar   

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Author Krishan Dutt Paliwal
Features
  • ISBN : 9789352663958
  • Language : Hindi
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  • Kindle Store

More Information

  • Krishan Dutt Paliwal
  • 9789352663958
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 2017
  • 320
  • Hard Cover

Description

सप्रसिद्ध आलोचक प्रो. कृष्णदत्त पालीवाल की नई पुस्तक के आलोचनात्मक निबंधों में अज्ञेय के रचनाकर्म को लेकर हिंदी आलोचना में हुई तमाम साहित्यिक, गैर-साहित्यिक बहसों और साहित्य की, राजनीति की चर्चा करते हुए उस पर तर्कसंगत प्रश्न उठाए गए हैं। अज्ञेय के साहित्यिक-सांस्कृतिक अवदान को उद्घाटित करते हुए स्थापित किया गया है कि अज्ञेय के सृजन-चिंतन से किस तरह हिंदी आलोचना में बहसों की शुरुआत हुई तथा समकालीन साहित्य-संवेदना और साहित्यिक परंपरा के अध्ययन-मूल्यांकन की नई आलोचना-संस्कृति का विकास हुआ।
अज्ञेय के निबंधों, भूमिकाओं, स्मरण-लेखों, यात्रा-साहित्य तथा उनके द्वारा आयोजित व्याख्यानमालाओं और यात्रा शिविरों में लेखकों, विद्वानों, कला-मर्मज्ञों के व्याख्यानों का अंतर्पाठ करते हुए इस पुस्तक में दिखाया गया है कि किस प्रकार उन्होंने भारतीय समाज, हिंदी भाषा, साहित्य और संस्कृति को औपनिवेशिक आधुनिकता से मुक्त कराने और भारतीय आधुनिकता को दिशा प्रदान करने का प्रयास किया।
अज्ञेय-साहित्य के अध्येताओं के लिए एक पठनीय पुस्तक।

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अनुक्रम

इस पुस्तक के विषय में — Pgs. 5

1. साहित्य और साहित्यालोचन — Pgs. 13

2. विद्रोही बौद्धिक की आधुनिकता का संवाद — Pgs. 39

3. व्यतित्व-रंजक निबंध-चेतना — Pgs. 64

4. नए विचारों का काव्यशास्त्र — Pgs. 94

5. आलोचक अज्ञेय की उपस्थिति — Pgs. 105

6. अज्ञेय की भूमिकाओं में साहित्य के प्रतिमान — Pgs. 127

7. मित कथन के संयम से संपन्न सृजन-यात्रा — Pgs. 159

8. अनुवाद और अज्ञेय — Pgs. 178

9. भारतीय कला-चिंतन की परंपराओं का सच — Pgs. 196

10. अज्ञेय : यात्रा-साहित्य — Pgs. 213

11. अलीकी का आत्मदान — Pgs. 262

12. स्वाधीन-चिंतन से जुड़े प्रश्न — Pgs. 286

13. भागवत भूमि यात्रा — Pgs. 305

The Author

Krishan Dutt Paliwal

जन्म : 4 मार्च, 1943 को सिकंदरपुर, जिला फर्रुखाबाद (उ.प्र.) में।
प्रकाशन : भवानी प्रसाद मिश्र का काव्य-संसार, आचार्य रामचंद्र शुक्ल का चिंतन जगत्, मैथिलीशरण गुप्‍त : प्रासंगिकता के अंत:सूत्र, सुमित्रानंदन पंत, डॉ. अंबेडकर और समाज-व्यवस्था, सीय राम मय सब जग जानी, सर्वेश्‍वरदयाल सक्सेना, हिंदी आलोचना के नए वैचारिक सरोकार, गिरिजा कुमार माथुर, जापान में कुछ दिन, डॉ. अंबेडकर : समाज-व्यवस्था और दलित-साहित्य, उत्तर आधुनिकता की ओर, अज्ञेय होने का अर्थ, उत्तर-आधुनिकतावाद और दलित साहित्य, नवजागरण और महादेवी वर्मा का रचनाकर्म : स्त्री-विमर्श के स्वर, अज्ञेय : कवि कर्म का संकट, निर्मल वर्मा (विनिबंध)
दलित साहित्य : बुनियादी सरोकार, निर्मल वर्मा : उत्तर औपनिवेशिक विमर्श। लक्ष्मीकांत वर्मा की चुनी हुई रचनाएँ, मैथिलीशरण गुप्‍त ग्रंथावली का संपादन।
पुरस्कार/सम्मान : हिंदी अकादमी पुरस्कार, दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मेलन सम्मान, तोक्यो विदेशी अध्ययन विश्वविद्यालय, जापान द्वारा प्रशस्ति-पत्र, राममनोहर लोहिया अतिविशिष्‍ट सम्मान, सुब्रह्मण्यम भारती सम्मान, साहित्यकार सम्मान, विश्‍व हिंदी सम्मान, विश्‍व हिंदी सम्मेलन, न्यूयॉर्क में सम्मानित। दिल्ली विश्‍वविद्यालय के हिंदी विभाग में प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष रहे तथा तोक्यो यूनिवर्सिटी ऑफ फॉरेन स्टडीज में विजिटिंग प्रोफेसर।

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