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आधुनिक हिंदी साहित्य और पत्रकारिता के इतिहास में सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ का नाम अविस्मरणीय है। हिंदी साहित्य की सभी आधुनिक विधाओं पर उनकी लेखनी की अमिट छाप है। बीसवीं शताब्दी के हिंदी साहित्य में अज्ञेय की शीर्ष स्थानीयता को लेकर सभी विवाद लगभग ठंडे पड़ गए हैं। वे उन बिरल भारतीय रचनाकारों में रहे हैं जो बीसवीं सदी कीं भारतीय संस्कृति, परंपरा, आधुनिकता और आत्म-बोध की बुनियादी समस्याओं पर एकाग्रभाव से अपने सृजन और चिंतन को संबोधित करते हैं। अज्ञेय ने भारतीयता, सामाजिकता, आत्मबोध, आत्मान्वेषण और आधुनिकता—इन पाँचों को एक विलक्षण ढंग से साधा है। वे एक गहरे और सार्थक अर्थ में ऐसे सर्जक और चिंतक हैं, जिनके बारे में यह दावे से कहा जा सकता है कि वे नई प्रतिभाओं को प्रेरणा देते रहे हैं साथ ही परंपरा की तमाम चुनौतियों को झेलकर उसका नया भाष्य वे प्रस्तुत करते हैं। भारतीयता को पुन:-पुन: परिभाषित करते हुए उसे नया अर्थ-संदर्भ देते हैं।
अज्ञेय को कष्ट रहा है कि ‘सारा देश एक टुकड़खोर जिंदगी जी रहा है—क्या राजनीति में, क्या शिक्षा में, क्या संस्कृति में, क्या धर्म में, ऐसे में सृजनशीलता कैसी? नियतिबोध होगा, तभी आत्मविश्वास होगा, तभी सृजन की संभावना भी।’ अज्ञेय के रचनाकर्म और सृजनात्मकता के विविध आयामों का बेबाक विवेचन करती वरिष्ठ समालोचक प्रो. कृष्णदत्त पालीवाल की एक पठनीय कृति।
जन्म : 4 मार्च, 1943 को सिकंदरपुर, जिला फर्रुखाबाद (उ.प्र.) में।
प्रकाशन : भवानी प्रसाद मिश्र का काव्य-संसार, आचार्य रामचंद्र शुक्ल का चिंतन जगत्, मैथिलीशरण गुप्त : प्रासंगिकता के अंत:सूत्र, सुमित्रानंदन पंत, डॉ. अंबेडकर और समाज-व्यवस्था, सीय राम मय सब जग जानी, सर्वेश्वरदयाल सक्सेना, हिंदी आलोचना के नए वैचारिक सरोकार, गिरिजा कुमार माथुर, जापान में कुछ दिन, डॉ. अंबेडकर : समाज-व्यवस्था और दलित-साहित्य, उत्तर आधुनिकता की ओर, अज्ञेय होने का अर्थ, उत्तर-आधुनिकतावाद और दलित साहित्य, नवजागरण और महादेवी वर्मा का रचनाकर्म : स्त्री-विमर्श के स्वर, अज्ञेय : कवि कर्म का संकट, निर्मल वर्मा (विनिबंध)
दलित साहित्य : बुनियादी सरोकार, निर्मल वर्मा : उत्तर औपनिवेशिक विमर्श। लक्ष्मीकांत वर्मा की चुनी हुई रचनाएँ, मैथिलीशरण गुप्त ग्रंथावली का संपादन।
पुरस्कार/सम्मान : हिंदी अकादमी पुरस्कार, दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मेलन सम्मान, तोक्यो विदेशी अध्ययन विश्वविद्यालय, जापान द्वारा प्रशस्ति-पत्र, राममनोहर लोहिया अतिविशिष्ट सम्मान, सुब्रह्मण्यम भारती सम्मान, साहित्यकार सम्मान, विश्व हिंदी सम्मान, विश्व हिंदी सम्मेलन, न्यूयॉर्क में सम्मानित। दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष रहे तथा तोक्यो यूनिवर्सिटी ऑफ फॉरेन स्टडीज में विजिटिंग प्रोफेसर।