₹175
सन् 1959.. .तारीख.. 28 दिसंबर.. स्थान.. आकाशवाणी, पटना का मुख्य स्टूडियो.. और माइक के सामने बैठे रामरेणु गुप्त की नजर माइक के ठीक ऊपर, सामने लगी घड़ी व लाल रंग की बल्व पर ज्योंही समय.. .ठीक शाम के सात बजकर पाँच मिनट हुआ, लाल बल्व जल उठा और. उन्होंने फिडर को ऑन करते हुए. .ये आकाशवाणी, पटना है, अब आप रामरेणु गुप्त से प्रादेशिक समाचार सुनिए ज्योंही कहा-बिहार की मीडिया के लिए यह दिन-समय स्वर्णमयी क्षण बन गया । बिहारवासियों ने रेडियो पर पहला प्रादेशिक समाचार जो सुना था।तब से आज तक यह गूँज बिना रुके-थके जारी है।
शिक्षा : स्नातक एवं पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा ।
प्रकाशन : 'तालों में ताले, अलीगढ़ के ताले', 'नागालैंड के रंग-बिरंगे उत्सव', 'पूरब का स्विट्जरलैंड:नागालैंड', '1857:जनक्रांति के बिहारी नायक' एवं 'बिहार की पत्रकारिता:तब और अब' प्रकाशित।
आकाशवाणी से ढेरों वार्त्ताएँ प्रसारित और रेडियो नाटकों में भागीदारी। पत्र- पत्रिकाओं में ढेरों लेख, फीचर आदि प्रकाशित, स्थानीय समाचार -पत्र में उप-संपादक रहे; दर्जनों नुक्कड़ तथा मंच नाटकों में अभिनय एवं निर्देशन ।
पुरस्कार : 'नवोदित साहित्य सम्मान' सहित विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थाओं द्वारा कई सम्मानों से सम्मानित।
संप्रति : आकाशवाणी के प्रादेशि समाचार एकांश, पटना में समाचार संपादक के पद पर कार्यरत ।
फोन : 9934293148
ई-मेलक:sanju3feb@gamail.com