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डॉ. मातंगी झा पेशे से डॉक्टर हैं और तबीयत से रचनाकार। एक ऐसी रचनाकार, एक ऐसी शायरा, जिसकी संवेदनाओं का संसार बहुत समृद्ध है। इस संसार में उनके निहायत अपने कुछ ल़फ्ज़ हैं, जो हमेशा उनका साथ निभाते हैं। ये ल़फ्ज़ उनकी ज़िंदगी के हमराज़ भी हैं और हम़कदम भी; ये शोर नहीं करते, इन्हें शाइस्तगी से अदा होना आता है, लेकिन शाइस्तगी से अदा होते हुए भी ये इज़हार में एहसास की शिद्दत को कम नहीं होने देते, बल्कि कभी-कभी उसे उस म़काम तक ले जाते हैं, जहाँ से हैरतों के नए सिलसिलों का पता मिलता है और वह भी कुछ इस तरह कि पढ़ने वाला पढ़ते-पढ़ते ठहर जाए और अपने ख़्याल में गुम हो जाए।