₹150
हम में से अधिकांश लोग सीधा, सरल और सुखद जीवन चाहते हैं। बचपन में अपने दादा-दादी या नाना-नानी से हम ऐसी कहानियाँ सुनते हैं, जिनका अंत सुखद होता है। हम जब बड़े हो जाते हैं और जैसे ही जीवन की वास्तविक परिस्थितियों का सामना करते हैं, तब हमें एहसास होता है कि सबकुछ इतना आसान नहीं है। तनाव, चिंता, अनिद्रा, भावनात्मक उथल-पुथल और आत्म-अनुशासन की कमियाँ हमारे जीवन को अपने वश में करने लगती हैं।
इन सारी चीजों के बीच हमें खुशी कैसे मिले? यह पुस्तक हमें इस नैराश्य से उबारती है और हमें फिर से अपने स्वाभाविक रूप में ले आती है। यह खुशी-खुशी और खेल-खेल में उस अतिरिक्त बोझ से हमें मुक्त कर देती है जिसे संभवतः हमने जीवन के प्रति अपने दृष्टिकोण को बदलते हुए अपने ऊपर डाल लिया था। यह व्यावहारिक रूप से आपको कदम-दर-कदम अपने जीवन को बदलने में मदद करती है। यह मायने नहीं रखता कि आपके पास क्या है या क्या नहीं; यह भी महत्त्व नहीं रखता कि अभी आप कहाँ हैं—सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि अब आप किस रास्ते को चुनते हैं? परिवर्तन के लिए निर्णय लेना जरूरी है। यह याद रखिए कि भविष्य अतीत के समान नहीं होता है। अपने जीवन को अभी वश में कीजिए और इस पुस्तक
में दिए 24 मंत्रों को जीवन में उतारकर सफलता के द्वार खोलिए और कहिए ऑल इज Well।
डॉ. स्नेह देसाई एक प्रेरक वक्ता, निजी सलाहकार और स्वयं-सहायक लेखक हैं। पिछले दो दशकों में उन्होंने अपने लाइव सेमिनारों, किताबों और डी.वी.डी. के माध्यम से बीस लाख से अधिक लोगों के जीवन को प्रभावित किया है। उन्होंने नौ वर्ष की छोटी सी उम्र में लाइफ कोच, प्रेरणादायी गुरु बनने का निर्णय लिया, क्योंकि उन्हें एहसास हुआ कि वह लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं।
वे जब सत्रह वर्ष के थे, तब उनके पिता का कारोबार अचानक ठप्प पड़ गया और ऐसा वित्तीय संकट पैदा हुआ कि उनका परिवार बेघर हो गया। वे चाहते तो किसी चमत्कार की प्रतीक्षा कर सकते थे, किंतु उन्होंने अपने जीवन का नियंत्रण अपने हाथों में लेने का फैसला किया। अपने कॅरियर की शुरुआत में वे एकदम अनुभवहीन थे, लेकिन उनकी आकांक्षा और सपने बड़े थे। उन्होंने बरसों से जाँचे-परखे गए सफलता के सार्वभौमिक सिद्धांतों और वर्षों के ज्ञान को लागू किया, जिससे छह अलग-अलग कंपनियाँ खड़ी हो गईं और फिर वे वित्तीय रूप से स्वतंत्र हो गए।
उनका चयन गुजरात के पच्चीस शीर्ष युवा उद्यमियों में से एक के रूप में किया गया और ‘दैनिक भास्कर मीडिया ग्रुप’ ने उन्हें ‘शब्दों का जादूगर’ नाम दिया। आज वे भारत के तेईस अलग-अलग शहरों के साथ ही सिंगापुर, यू.के., यू.ए.ई., अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और अमेरिका में लोगों को जीवन जीने के सूत्र और मंत्र बताते हैं।