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"भारत को आजाद कराने में क्रांतिकारियों की भूमिका अहम रही है। मैं उन अमर शहीदों की याद में खो जाता हूँ, जो बीर थे। महान् बलिदानी, त्यागमूर्ति, जो सिर पर कफन बाँधकर देश से अंग्रेजों की क्रूर सत्ता का उच्छेद करने निकल पड़े थे।
प्रस्तुत पुस्तक में संक्षेप में यह बताया गया है कि मातृभूमि की बेदी पर कितने वीरों ने शीश चढ़ाए थे। ऐसे अमर बलिदानियों की याद को ताजा रखना हमारा अभिप्राय है, जिससे भावी पीढ़ी को देशप्रेम और देशभक्ति की प्रेरणा मिलती रहे। अमर शहीद अशफाकउल्ला खान एक ऐसे ही अमर बलिदानी हैं। अशफाक हिंदू-मुसलिम एकता के पक्षधर थे। इस सुंदर, सौम्य, साहसी शहीद की शहादत को नमन है।"
डॉ. रामसिंह
जन्म : 15 जुलाई, 1934 को नगला पांडव, जनपद-एटा (उ.प्र.) में।
शिक्षा : एम.ए. (हिंदी, समाजशास्त्र, इंग्लिश), पी-एच.डी. (आगरा विश्वविद्यालय)।
प्रकाशन : ‘ब्रज का देवपरक लोक साहित्य एवं संस्कृति’ (शोध), ‘जाहरपीर’, ‘दिव्यात्मा’, ‘ईश्वर कहाँ गया’ (उपन्यास), ‘क्रांतिदूत मुलायम सिंह’, ‘अमीर खुसरो’, ‘अशफाकउल्ला खाँ’ (जीवनी), ‘चंद्रशेखर आजाद’, ‘ताज महल’, ‘रिटायरमेंट के बाद सुखी जीवन’ (खंड काव्य), ‘श्याम तेरी बंसी बजे धीरे-धीरे’ (ब्रज के कृष्णपरक लोक गीतों का संकलन), ‘बुढ़ापा विज्ञान’, ‘बहनों से दो बातें’, ‘The Way of Smart Living’, ‘Taj Mahal’ (A Ballad in English), ‘Life after Retirement’। अमीर खुसरो फाउंडेशन के अध्यक्ष रहे। राजनैतिक एवं सामाजिक चेतना के अनेक लेख, ऑल इंडिया रेडियो पर अनेक वार्त्ताओं का प्रसारण। सृजन के साथ-साथ शिक्षा एवं सामाजिक क्षेत्र में भी सक्रिय रहे।
स्मृतिशेष : 10 दिसंबर, 2017