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जीवनलाल की विनती सुनकर पीछे खड़े दर्शनार्थी भी क्षण भर के लिए स्तब्ध रह गए। अंदर-अंदर चर्चा होने लगी। इधर गोरखनाथ रहस्यमय ढंग से हँसने लगे, मानो जीवनलाल को क्षणार्ध में समझ गए हों! उनकी हँसी सुहावनी और मनोरम लग रही थी। जीवनलाल के पीछे और अगल-बगल खड़े भक्त गोरखनाथ की यह झलक पाकर मन-ही-मन धन्य हो गए, परंतु जीवनलाल पर उसका कोई प्रभाव लक्षित नहीं हुआ। जीवनलाल की याचना ज्यों-की-त्यों थी।
‘‘जीवनलाल!’’
‘‘हाँ!’’ जीवनलाल चौंका। उसे आश्चर्य हुआ—नाथ मुझे नाम से जानते हैं! वह धन्य हो गया।
‘‘आत्मा तो अविनाशी है। उसे मृत्यु के क्षुद्र संबंध से नहीं जोड़ा जा सकता।... और यह मानव जीवन बार-बार नहीं मिलता। चौंसठ लाख योनियों से होकर गुजरने के बाद...’’
‘‘समझता हूँ नाथ!...सब समझता हूँ।’’ अपेक्षा और इरादे में तनिक भी फेर न पड़े, इसकी पूरी सावधानी रखते हुए जीवनलाल ने कहा, ‘‘इस समझ के रास्ते पर चलकर ही आपके पास इच्छा-मृत्यु के लिए आया हूँ।’’
—इसी पुस्तक से
गुजराती पाठकों द्वारा प्रशंसित ममस्पर्शी, संवेदनशील, भावनात्मक, मनोरंजक एवं सुरुचिपूर्ण ये कहानियाँ हिंदी पाठकों को भी प्रभावित किए बिना नहीं रहेंगी।
डॉ. राघवजी माधड गुजराती साहित्य और शिक्षाजगत् में लोकप्रिय एवं शिष्ट साहित्य के शिखर पर विराजमान साहित्यकार हैं। उन्होंने उपन्यास, कहानी, निबंध, नाटक और विशेषतः लोकसाहित्य आदि स्वरूपों में अपनी कलम का कमाल दिखाकर अपूर्व प्रतिष्ठा प्राप्त की है।
गुजरात-सौराष्ट्र के एक छोटे से गाँव की मिट्टी से अपना जीवन और कलम की यात्रा का आरंभ करने वाले यह सर्जक अपनी मेहनत और निष्ठा से राज्य सरकार के G.C.E.R.T. के सरकारी अधिकारी के पद पर पहुँचे हैं। उनके उपन्यास, कहानी और जनकहानियों में मानवीय सच्चाई, संवेदनशीलता, सत्-असत्, पारंपरिक मूल्य और नए युग के नए आयाम अपने आप उभरकर आते हैं।
मूल्य शिक्षा में पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त करनेवाले बहुविध प्रतिभा के धनी माधड की शैक्षिक प्रतिभा का लाभ गुजरात राज्य सरकार को टेक्स्ट बुक बोर्ड के अभ्यासक्रम निर्धारण, लेखन, परामर्श, विविध शैक्षिक कार्यक्रम, संशोधन-संपादन आदि में निरंतर मिला है।
स्वभाव से एकदम सरल, निश्छल और विनम्र डॉ. माधड गुजराती साहित्य के अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं। पत्र-पत्रिकाओं में नियमित लेखन करनेवाले डॉ. माधड ने रेडियो, टी.वी. और फिल्मों को भी अपनी लेखनी से समृद्ध किया है।
—डॉ. कन्हैयालाल भट्ट (गांधीनगर, गुजरात)