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बाबासाहब डॉ. भीमराव आंबेडकर बीसवीं सदी के भारत के ऐसे महानायक हैं, जिन्हें संपूर्ण समाज उनकी उच्च शिक्षा, उनके ज्ञान और भारतीय समाज में व्याप्त छुआछूत के खिलाफ उनके संघर्ष के साथसाथ दलितों और वंचितों को उनके विकास के माध्यम से राष्ट्र की मुख्यधारा में सम्मिलित करने के प्रयासों के लिए स्मरण करता है। संविधान निर्माता और एक अर्थशास्त्री के रूप में अपने शोधों के माध्यम से ऐसी मार्गदर्शक जानकारियाँ दीं, जिनको आधार मानकर, उनका अनुसरण करके भारत आज विश्व की पाँचवीं आर्थिक महाशक्ति के रूप में स्थापित हो चुका है और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में यूरोपीय देशों सहित पूरे विश्व को अपनी क्षमता का लोहा मनवा रहा है।
डॉ. आंबेडकर के बताए रास्तों पर चलकर और उनसे प्रेरणा लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक विकसित भारत की परिकल्पना को मूर्त रूप देने के लिए कृतसंकलित हैं। 1942 में वायसराय परिषद् के सदस्य से लेकर संविधान निर्माता व देश के विधि मंत्री के रूप में डॉ. आंबेडकर ने जैसे भारत की संकल्पना की थी, उनकी वह सोच, दृष्टि, कर्तृत्व और राष्ट्रनिष्ठा का परिचायक है यह पुस्तक।
लेखक बसंत कुमार का जन्म उ.प्र. के जौनपुर जनपद के पिपरा गाँव में हुआ। औपचारिक शिक्षा-प्राप्ति के पश्चात् रेलवे भरती परीक्षा में सफल हुए और रेलवे की सेवा की। तदुपरांत संघ लोक सेवा आयोग से ‘सिविल सर्विस एलायड परीक्षा’ पास की और विभिन्न मंत्रालयों में अनेक पदों पर काम किया; उपसचिव के पद से स्वेच्छा से सेवानिवृत्त हुए। राष्ट्रवाद व हिंदू संस्कृति से अपनी गहरी आस्था के कारण भाजपा के वरिष्ठ नेता, राष्ट्रवादी चिंतक व विचारक पं. कलराज मिश्र के सान्निध्य में भाजपा से जुड़ गए।
एक लेखक व स्तंभकार के रूप में उन्होंने अनन्य योगदान किया है। पूर्व में पं. अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा संपादित दैनिक ‘वीर अर्जुन’ में इनके नियमित कॉलम प्रकाशित होते रहते हैं, जिनमें ये बड़ी बेबाकी से विभिन्न विषयों पर अपने विचार रखते हैं। इनके द्वारा संपादित पुस्तकें हैं—‘राष्ट्रवादी कर्मयागी कलराज मिश्र’ (संपादन), ‘हिंदुत्व एक जीवन शैली’ (संकलन), ‘युवाओं के प्रेरणास्रोत स्वामी विवेकानंद’, ‘एकात्म मानववाद भाजपा का लक्ष्य’ एवं ‘Priorities of India's Economy’.
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