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कौतुकप्रिय, भोले- भाले से, इतने मुदित, इतने पारंगत, सदैव मुसकराते रहनेवाले वे गुरु वास्तव में कौन हैं, जिनका लक्ष्य है-' जो उनके संपर्क में आए, सदा मुसकराते रहने का प्रसाद पाए ' । वे हैं गुरुजी श्रीश्री रवि शंकर-विश्व की सबसे बड़ी सामाजिक- आध्यात्मिक गैर-सरकारी संस्था आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक । यह पुस्तक उनके प्रेरणाप्रद जीवन की अंतरंग झलकियाँ प्रस्तुत करती है । इस पुस्तक में उनकी संस्था, उनके द्वारा निर्मित ' कल्याणकारी श्वास कार्यशाला ' और चमत्कारी एवं रूपातरकारी ' सुदर्शन क्रिया ' का परिचय है । और एक ऐसे व्यक्ति का परिचय है, जो 'किसी धर्म का प्रचार नहीं करता वरन् अपने ही आनंदस्वरूप व्यक्तित्व से वास्तविक आध्यात्मिकता का पाठ पढ़ाता है-' सदा आनंदित रहना' ।
विश्व के 140 से भी अधिक देशों में उनकी उपस्थिति, प्रेम-प्रसाद और विभिन्न विधियों से अनगिनत लोगों के जीवन में रूपांतरण हुआ है । गुरुजी ने संयुक्त राष्ट्र, विश्व आर्थिक मंच और हार्वर्ड विश्वविद्यालय के होनहार युवाओं को संबोधित किया है; संघर्ष और कलह से पीड़ित संसार में प्रेम का संदेश पहुँचाया है तथा मानव-मूल्यों को पुनरुज्जीवित किया है ।
जीवन के आनंद का बोध करानेवाले आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रवि शंकरजी की प्रेरणादायक जीवनगाथा ।
सन् 1950 में पेरिस में जनमे फ्रांसीसी पत्रकार फ्रांस्वा गोतिए पिछले दस वर्षों से राजनीतिक संवाददाता हैं। वर्तमान में पेरिस से प्रकाशित ‘लॉ रेव्यू डे ला इंडि’ (lesbelle-slettres.com) के संपादक हैं। फ्रांस्वा ने अनेक पुस्तकों का लेखन भी किया है—‘अन ऑटे्र रिगार्ड सर ला’ इंडि’ (एडिशंस डू ट्राइकोर्न, जेनेवा-पेरिस), ‘अराइज ओ इंडिया’ ‘ए वेस्टर्न जर्नलिस्ट ऑन इंडिया’ एवं ‘इंडिया’ज सेल्फ डिनायल’। फ्रांस्वा लंबे समय से ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ संस्था से जुडे़ रहे हैं। वे पिछले कई दशकों से भारत में अपनी भारतीय पत्नी नम्रता के साथ रह रहे हैं।