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इस घटना के बाद विनता ने अपने दूसरे अंडे का पूरा ध्यान रखा और पिछली भूल से सबक लेकर इस बार उसने अंडे को नहीं तोड़ा। महीने और साल बीत गए।
अंत में, एक दिन अंडा अपने आप टूटा और शक्तिशाली पंखों तथा पक्षी जैसे चेहरे वाला एक व्यक्ति उससे बाहर निकला। उसने कहा, ‘‘माता, मैं आ गया। आपके धैर्य के लिए आपका आभारी हूँ। मैं शक्तिशाली हूँ और कहीं भी उड़कर जा सकता हूँ। मैं शक्तिशाली गरुड हूँ। मैं भगवान् विष्णु और उनकी पत्नी लक्ष्मी का वाहन बनूँगा। मैं वचन देता हूँ कि मैं आपको दासता से मुक्ति दिलाऊँगा।’’
इसके बाद वह दूर आकाश में उड़ गया। उसकी माता उसे गर्व से देख रही थीं। प्रसन्न थीं कि अंततः वे उसे देख पाईं और उसने उन्हें दासता से मुक्त कराने का वचन दिया है।
विनता ने अपनी मुक्ति के लिए बहुत लंबी प्रतीक्षा की थी।
—इसी पुस्तक से
अनुक्रम
भूमिका—7
ओंकार स्वरूप
1. ब्रह्माजी की भूल—13
2. एक दिव्य समाधान—17
सत्यं शिवं सुंदरम्
3. सती की कहानी —25
4. पार्वती का जन्म —29
5. कामदेव—33
6. स्वर्ग में बनी जोड़ी—38
7. चाँद और उसका बढ़ता-घटता रूप—42
8. गणेश की कथा—46
9. तीन नगरों की कहानी —53
10. अर्धनारीश्वर—59
11. लोक कथाएँ—62
संभवामि युगे-युगे
12. दधीचि की हड्डियाँ —79
13. समुद्र-मंथन —82
14. दशावतार—88
15. तीन नश्वर जीवन —100
16. भस्मासुर—112
17. अंडे से निकला आदमी—119
18. दोमुँही जीभ—124
19. ईमानदार ठग—128
20. इच्छा-मृत्यु—133
21. श्रीमती का स्वयंवर —137
22. मायाजाल—143
23. विवाह ऋण—147
24. हरिहर —155
नोट्स —158
सुधा मूर्ति का जन्म सन् 1950 में उत्तरी कर्नाटक के शिग्गाँव में हुआ था। इन्होंने कंप्यूटर साइंस में एम.टेक. किया और अब इन्फोसिस फाउंडेशन की अध्यक्षा हैं। अंग्रेजी और कन्नड़ की एक बहुसर्जक लेखिका। इन्होंने उपन्यास, तकनीकी पुस्तकें, यात्रा-वृत्तांत, कहानी-संग्रह, कथेतर रचनाएँ तथा बच्चों के लिए अनेक पुस्तकें लिखी हैं।
इनकी अनेक पुस्तकों का भारत की सभी प्रमुख भाषाओं में अनुवाद हो चुका है और पूरे देश में उनकी 4 लाख से अधिक प्रतियाँ बिक चुकी हैं। इन्हें सन् 2006 में साहित्य के लिए ‘आर.के. नारायण पुरस्कार’ और ‘पद्मश्री’ तथा 2011 में कन्नड़ साहित्य में उत्कृष्टता के लिए कर्नाटक सरकार द्वारा ‘अट्टिमब्बे पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है।