₹600
हालाँकि टेलिकॉम सेवाओं में काफी विस्तार हुआ है, लेकिन अब स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए कोई तैयार नहीं। नए निवेशक इस क्षेत्र में आने से हिचक रहे हैं और जो लोग इसमें निवेश कर चुके हैं, वे लाभ कमाने के बाद भी उस माहौल पर अफसोस जता रहे होंगे, जिसमें वे काम कर रहे हैं। सफलता की यह कहानी नाकाम क्यों हो गई? शुरुआत में प्रधानमंत्री ने दूरसंचार विभाग ऐसे मंत्री को सौंपा, जिनके हित खुद इससे जुड़े हुए थे। संप्रग सरकार के पहले दूरसंचार मंत्री के खिलाफ आपराधिक जाँच जारी है।
सीबीआई यूपीए सरकार की महज एक राजनीतिक इकाई बनकर रह गई। सीबीआई निदेशक के रूप में नियुक्त किए गए अधिकारी भी सरकार के दबाव में काम करते रहे और उन्होंने इस जाँच एजेंसी का इस्तेमाल गंभीर अपराधों की जाँच के लिए नहीं, बल्कि सत्तारूढ़ दल के राजनीतिक हितों की रक्षा के लिए किया। सीबीआई द्वारा बसपा की नेता के खिलाफ दायर किए गए मामले में अपना काम किया और बहुजन समाज पार्टी द्वारा दिखाई गई राजनीतिक अवसरवादिता से यह बात साबित भी हो गई।
—इसी पुस्तक से
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अनुक्रम
प्रकाशकीय Pgs—5
1. 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला : अनोखी बंदरबाँट Pgs—11
2. राष्ट्रमंडल खेल घोटाले का सच Pgs—13
3. लालू पर आखिर साबित हुए दोष Pgs—21
4. कोयला ब्लॉक आवंटन की अहम फाइलें गायब Pgs—23
5. कोयला ब्लॉक आवंटन : सरकारी दखल का सिलसिला Pgs—25
6. 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला : किसकी उँगली, किस ओर Pgs—28
7. कहानी दूरसंचार की Pgs—31
8. वैध खनन में जारी अवैध गोलमाल Pgs—34
9. 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में घोटाला, पर दूरसंचार में क्रांति Pgs—37
10. मतदान के लिए नकदी लेनदेन का कलंक Pgs—41
11. बोफोर्स भ्रष्टाचार मामला Pgs—48
12. सीबीआई के संचालन पर मंत्री समूह की सिफारिशें Pgs—एक तमाशा Pgs—52
13. सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ मामले में सीबीआई का दुरुपयोग Pgs—57
14. राजनीतिक हथियार है सीबीआई? Pgs—60
15. कैसे हो न्यायपालिका निर्भीक और गतिशील Pgs—62
16. कई-कई दबावों में निखरी है न्यायपालिका, सुधार जरूरी Pgs—74
17. अदालतों में मामलों के बढ़ते बोझ घटाने की कोशिश Pgs—80
18. गतिशील और सामाजिक स्तंभ रहा है उच्चतम न्यायालय Pgs—86
19. मामलों की तादाद कम करने के लिए वैकल्पिक विवाद निस्तारण तंत्र Pgs—89
20. आपातकाल के वे काले दिन Pgs—97
21. हिंदू दा नेता जयप्रकाश Pgs—103
22. देश हित में आवाज उठाने वाले नानाजी Pgs—106
23. आर्थिक सुधारों के प्रति सचेत अटलजी Pgs—109
24. भारतीय संविधान के पचास साल Pgs—समाज करे आत्मविश्लेषण Pgs—111
25. मजबूती क्यों न हो निर्वाचन आयोग की आजादी में Pgs—119
26. किराए पर कैमरों के बहाने काली कमाई का शोर Pgs—123
27. ध्वनि तरंगों पर हक सबका, सावधानी फिर भी जरूरी Pgs—125
28. सोशल मीडिया की आजादी, इंटरनेट की चुनौती Pgs—129
29. बदलते आर्थिक हालात में प्रिंट मीडिया का दमकता चेहरा Pgs—134
30. मीडिया की आजादी पर कानूनी नजर क्यों जरूरी Pgs—141
31. सूचना के बढ़ते माध्यम और कानूनी शिकंजों की बेबसी Pgs—153
32. मीडिया और विकास Pgs—170
33. सामाजिक बदलाव, कानून और मीडिया के अंतर्संबंध Pgs—184
34. पाठकों के ही पास है मीडिया का रिमोट कंट्रोल Pgs—188
35. ‘पेड न्यूज’ वाक् स्वातंत्र्य नहीं, इलाज संभव Pgs—191
36. मीडिया माध्यमों के नए रूप और नियंत्रण Pgs—194
37. अनुच्छेद 370 और धर्मनिरपेक्षता अलग-अलग मुद्दे Pgs—197
38. जम्मू कश्मीर में बेटी विरोधी स्थिति Pgs—200
39. भारतीय संघ और कश्मीरी संबंधों पर नाकाम कार्य समूह Pgs—203
40. जम्मू-कश्मीर पर प्रधानमंत्री को पत्र Pgs—205
41. कश्मीर में कब्जे का पाक इरादों का मुकाबला Pgs—207
42. जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों ने नाकाम किए आतंकी मंसूबे Pgs—210
43. ऐतिहासिक भूलों से बढ़ी जम्मू-कश्मीर में अशांति Pgs—216
44. जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान के नए इरादे Pgs—219
45. भारतीय आन-बान-शान का प्रतीक राष्ट्रीय ध्वज Pgs—222
46. राष्ट्रीय एकता यात्रा बनाम राष्ट्रीय भावना का प्रचार Pgs—225
47. कश्मीर में अफस्फा जरूरी क्यों Pgs—227
48. अमरनाथ यात्रा का ऐतिहासिक गौरव Pgs—230
49. कार्यसमूह को अरुण जेटली का पत्र Pgs—232
50. छद्म धर्म निरपेक्षता और आतंक का जोर Pgs—238
श्री अरुण जेटली का जन्म 28 दिसंबर, 1952 में हुआ था। एक छात्र के रूप में उन्होंने अपनी शैक्षणिक मेधा का परिचय दिया। वे हिंदी और अंग्रेजी, दोनों ही भाषाओं में दिल्ली विश्वविद्यालय के सबसे अच्छे वक्ता थे। अपने कॉलेज ‘श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स’ के छात्र संघ के अध्यक्ष रहे और फिर दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के भी अध्यक्ष बने। श्री जयप्रकाश नारायण ने उन्हें 1974 के जेपी आंदोलन के दौरान सारे छात्र और युवा संगठनों का संयोजक बनाया। 26 जून, 1975 को आपातकाल लागू कर दिया गया। आपातकाल के खिलाफ सबसे पहले सत्याग्रही अरुण जेटली ही थे, जिसके कारण उन्होंने 19 महीने जेल में बिताए।
उन्होंने एक वकील के रूप में अपने कॅरियर की शुरुआत की और उन्हें जबरदस्त सफलता मिली। सीनियर वकील कहलानेवाले वे सबसे युवा वकील थे और मात्र 37 वर्ष की आयु में वे एडीशनल सॉलिसीटर जनरल बने।
भाजपा के वरिष्ठ नेता के रूप में उन्होंने अपनी पहचान बनाई और पार्टी के प्रवक्ता और महासचिव बने। श्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वे सूचना और प्रसारण, विनिवेश, कानून, न्याय और कंपनी मामलों, जहाजरानी तथा वाणिज्य और उद्योग विभागों के मंत्री रहे और अपनी कार्यक्षमता से सबको प्रभावित किया।
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा और विश्व व्यापार संगठन जैसे विभिन्न मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की बात को प्रभावी ढंग से रखने का महती कार्य किया।
अरुण जेटली पिछले 15 वर्षों से राज्यसभा के सदस्य हैं। उन्होंने संसद् में हुई सबसे शानदार बहसों में भाग लेकर अपने वक्तव्य कौशल से सब पर अपनी धाक जमाई है। वे स्वच्छ और स्वस्थ राजनीति के प्रबल पक्षधर हैं। भारतीय संसद् ने उन्हें उत्कृष्ट सांसद के सम्मान से विभूषित किया है।
संप्रति : केंद्रीय वित्त, सूचना एवं प्रसारण एवं कॉरपोरेट मामले मंत्री।