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Andhra Pradesh Ki Lokkathayen   

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Author Prof. S. Shesharatnam
Features
  • ISBN : 9789355210180
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Prof. S. Shesharatnam
  • 9789355210180
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2021
  • 160
  • Soft Cover
  • 250 Grams

Description

लोककथाएँ सामूहिक जीवन की धरोहर हैं। लोकधर्म, लोकव्यवहार एवं मानवीय संवेदनशीलता ने लोककथाओं को सर्वग्राह्य बना दिया है। ये सामाजिक विरासत के रूप में पीढ़ी-दर-पीढ़ी पहुँच रही है। पहले केवल बच्चों के लिए ही नहीं, बड़ों के लिए भी लोककथाएँ मनोरंजन का साधन थीं। इसलिए वयस्क और बच्चे इन्हें सुनने के लिए एक साथ बैठते थे और अपनी-अपनी समझ के अनुसार मनोरंजन प्राप्त करते थे। घर के दादा-दादी, नाना-नानी भी बच्चों को मौखिक रूप से प्रचलित लोककथाएँ सुनाते थे। श्रोताओं एवं पाठकों के मन को शीघ्र ही खींच लेने की चुंबकीय शक्ति इन लोककथाओं में रहती है; पाठकों व श्रोताओं में उत्सुकता जगाने की अद्भुत क्षमता भी। घटनाओं की बाहुल्यता एवं सीधे-सादे शिल्प के साथ, सहज रूप में अभिव्यक्त होनेवाली लोककथाएँ अपनी जड़ों से जुड़ने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इसलिए ही किस्से कहने-सुनने की बैठकें होती थीं। लोककथा की शुरुआत चुनौतीपूर्ण संघर्ष के साथ होती है। लोककथा का नायक या नायिका कभी हारता नहीं है, मुसीबतों का धैर्य एवं विवेक के साथ सामना करता है। 
आंध्र प्रदेश के लोकजीवन, लोककलाओं व लोकधर्म का दिग्दर्शन कराती पठनीय व मननीय लोककथाओं का अनूठा संकलन।

The Author

Prof. S. Shesharatnam

प्रो. एस. शेषारत्नम्
जन्म 150 में कृष्णा जिले के एलुकपाडु ग्राम आंध्र प्रदेश में हुआ। आरंभिक शिक्षा-दीक्षा उसी ग्राम में संपन्न हुई। हिंदी भाषा एवं साहित्य को अपने विषय बनाकर स्नातकोत्तर स्तर पर एम.ए. प्रथम श्रेणी में हुईं। अध्यापन और अनुसंधान के क्षेत्र में राष्ट्रवाणी हिंदी की अनुपम सेवा कर रही हैं। आंध्र विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में सन् 1976 से स्नातकोत्तर स्तर के अध्यापन, शोध-निर्देशन और विभिन्न शोध परियोजनाओं में संलग्न। सृजनात्मक लेखन, समीक्षा, अनुवाद और पत्रकारिता के क्षेत्र में समकालीन भारतीय साहित्य के विकास को अनंत आयाम प्रदत्त करनेवाले अहिंदी भाषी हिंदी रचनाकारों में विशिष्ट स्थान रखती हैं। लगभग पचास पुस्तकें प्रकाशित। तेलुगु और हिंदी के प्रतिनिधि कवियों, कहानीकारों व उपन्यासकारों की विशिष्ट रचनाओं को हिंदी और तेलुगु में अनूदित कर राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने की दिशा में उनकी उपलब्धियाँ अत्यंत विशिष्ट सिद्ध हुई हैं। हिंदी में मौलिक तथा अनूदित लेखन के लिए कई राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित।

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