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Andhvishvas Virodh Ke Ekanki   

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Author Giriraj Sharan
Features
  • ISBN : 9788173150371
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Giriraj Sharan
  • 9788173150371
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2011
  • 126
  • Hard Cover

Description

—सुनो, ऊपर से यह कैसी आवाज आ रही है?
—ऐसा लग रहा है, जैसे छत पर कोई चल रहा हो तो क्या हिम्मतराय ठीक कहता था?
—क्या कहता था हिम्मतराय?
—यही कि इस भवन में एक दु:खी आत्मा का साया है। प्रेम की मारी एक राजकुमारी ने इस भवन में आत्महत्या की थी। तभी से उसकी आत्मा यहाँ भटक रही है।
—तब तुमने यह मकान लिया ही क्यों?
—इसलिए पुष्पा, क्योंकि मैं इन बातों पर विश्‍वस नहीं करता। मैं जानता हूँ कि आत्मा के पाँव नहीं होते, वह चल नहीं सकती। ये सब भ्रान्तियाँ हैं,
अंधविश्‍वास हैं।
—इसी संकलन से
मानव-मन के अनजाने भय और आत्महीनता से उपजे अंधविश्‍वासों के नागपाश में जकड़े और मुक्‍ति के लिए छटपटाते हमारे समाज की पीड़ा के अँधेरे आयामों का अनुदर्शन—

The Author

Giriraj Sharan

जन्म : सन् 1944, संभल ( उप्र.) ।
डॉ. अग्रवाल की पहली पुस्तक सन् 1964 में प्रकाशित हुई । तब से अनवरत साहित्य- साधना में रत आपके द्वारा लिखित एवं संपादित एक सौ से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं । आपने साहित्य की लगभग प्रत्येक विधा में लेखन-कार्य किया है । हिंदी गजल में आपकी सूक्ष्म और धारदार सोच को गंभीरता के साथ स्वीकार किया गया है । कहानी, एकांकी, व्यंग्य, ललित निबंध, कोश और बाल साहित्य के लेखन में संलग्न डॉ. अग्रवाल वर्तमान में वर्धमान स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बिजनौर में हिंदी विभाग में रीडर एवं अध्यक्ष हैं । हिंदी शोध तथा संदर्भ साहित्य की दृष्‍ट‌ि से प्रकाशित उनके विशिष्‍ट ग्रंथों-' शोध संदर्भ ' ' सूर साहित्य संदर्भ ', ' हिंदी साहित्यकार संदर्भ कोश '-को गौरवपूर्ण स्थान प्राप्‍त हुआ है ।
पुरस्कार-सम्मान : उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ द्वारा व्यंग्य कृति ' बाबू झोलानाथ ' (1998) तथा ' राजनीति में गिरगिटवाद ' (2002) पुरस्कृत, राष्‍ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली द्वारा ' मानवाधिकार : दशा और दिशा ' ( 1999) पर प्रथम पुरस्कार, ' आओ अतीत में चलें ' पर उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ का ' सूर पुरस्कार ' एवं डॉ. रतनलाल शर्मा स्मृति ट्रस्ट द्वारा प्रथम पुरस्कार । अखिल भारतीय टेपा सम्मेलन, उज्जैन द्वारा सहस्राब्दी सम्मान ( 2000); अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानोपाधियाँ प्रदत्त ।

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