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तेजी से बदलते सामाजिक-आर्थिक परिवेश में परिवार, विद्यालय, महाविद्यालय आदि तक में ऐसे पाठ आमतौर पर कम ही पढ़ाए जाते हैं, जिन से बचपन में ऐसे बीज बोए जाएँ, जो छात्रों में श्रेष्ठ से श्रेष्ठतर और श्रेष्ठतम बनने के भाव विकसित कर सकें। ये आदर्श जीवनमूल्य ही किसी के व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं। ये हमें मानवजीवन की सार्थकता जानने में सहायक होते हैं।
उतार-चढ़ाव और हर्ष-विषाद, आकर्षण - विकर्षण में मनुष्य कैसे टिका रहे? इसके समाधान - सूत्र इस पुस्तक में संकलित हैं। 'गागर में सागर' की तरह पुस्तक में रहस्य इस तरह छुपे हुए हैं, जिनको थोड़ा-थोड़ा पढ़ने और फिर उन्हें अंगीकार करने से स्वयं को गौरवान्वित अनुभव करते हुए हम अपने व्यवहार और स्वभाव में अहंकार, भ्रम, गलतफहमी और अज्ञानतावश होनेवाली गलतियों से बच सकते हैं।
उम्मीद है, हमारे जीवन को दिशा देने वाली यह पुस्तक कालजयी ज्ञान और निरंतर चिंतन-चेतना पैदा करेगी।