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"सुधा कुलकर्णी एक सहृदय महिला हैं। उन्होंने टेल्को (TELCO) कंपनी में पहली महिला इंजीनियर के रूप में अपना शानदार कॅरियर बनाया। उन्हीं दिनों उनकी मुलाकात गंभीर, आदर्शवादी एवं प्रतिभाशाली नारायण मूर्ति से हुई और उन्हें उनसे प्यार हो गया। इस पुस्तक में उनके शुरुआती वर्षों की कहानी पहली बार सामने आ रही है- उनके प्रेमालाप से लेकर इन्फोसिस की स्थापना के वर्षों तक, उनके विवाह से लेकर माता-पिता बनने तक- यह कहानी मास्टर कहानीकार चित्रा बनर्जी दिवाकरुणी द्वारा लिखी गई है।
आखिर ऐसा क्या था, जिसने एक बेमेल जोड़ी को एकजुट किया ? किस चीज ने उन्हें चुनौतियों और अकेलेपन के दौरान मजबूती से बाँधे रखा ? भारत में उस समय स्टार्टअप प्रारंभ करना कठिन था, क्योंकि लाइसेंस राज का शासन था और 'उद्यमशीलता' को एक गंदा शब्द माना जाता था। सुधा मूर्ति ने एक कॅरियर महिला, एक माँ और एक स्टार्टअप पत्नी होने के नाते कैसे संतुलन बनाया और नारायण मूर्ति के जुनून का उन पर तथा उनके परिवार पर क्या प्रभाव पड़ा ?
यह पुस्तक एक सफल और स्थायी विवाह के लिए किए जाने वाले बलिदानों के बारे में है, उदारीकरण से पहले के इन्फोसिस और भारतीय व्यापार की शुरुआत की कहानी के बारे में है, और सबसे बढ़कर, दो महान् हस्तियों के बारे में है, जिन्होंने व्यापार एवं परोपकार के दो क्षेत्रों का अर्थ ही बदल दिया।"