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भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष वैज्ञानिक सुनीता विलियम्स का नाम आज कौन नहीं जानता! यह नाम है एक ऐसी असाधारण महिला का, जिनके नाम अनेक रिकॉर्ड दर्ज हो चुके हैं। उन्होंने अंतरिक्ष में 194 दिन, 18 घंटे रहकर विश्व रिकॉर्ड बनाया। यह पुस्तक उसी अप्रतिम महिला की असाधारण इच्छाशक्ति, दृढ़ता, उत्साह तथा आत्मविश्वास की कहानी है। उनके इन गुणों ने उन्हें एक पशु-चिकित्सक बनने की महत्त्वाकांक्षा रखनेवाली छोटी बालिका से एक अंतरिक्ष-विज्ञानी, एक आदर्श प्रतिमान बना दिया। अंतरिक्ष में अपने छह माह के प्रवास के दौरान वे दुनिया भर के लाखों लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी रहीं।
सुनीता समुद्रों में तैराकी कर चुकी हैं, महासागरों में गोताखोरी कर चुकी हैं, युद्ध और मानव-कल्याण के कार्य के लिए उड़ानें भर चुकी हैं, अंतरिक्ष तक पहुँच चुकी हैं और अंतरिक्ष से अब वापस धरती पर आ चुकी हैं और एक जीवित किंवदंती बन गई हैं। प्रस्तुत कृति में उनके जीवन के अनेक महत्त्वपूर्ण, रोचक एवं प्रेरक प्रसंग वर्णित हैं।
प्रत्येक आयु वर्ग के पाठकों के लिए पठनीय व संग्रहणीय कृति।
आराधिका शर्मा प्रतिष्ठित पत्रकार हैं। ‘इंडियन एक्सप्रेस’ और ‘द ट्रिब्यून’ सहित कई समाचार-पत्रों में उनके सैकड़ों लेख प्रकाशित हो चुके हैं। पूर्णकालिक पत्रकार बनने से पहले वे कई विद्यालयों में अंग्रेजी अध्यापिका और समन्वयक के रूप में कार्य कर चुकी हैं। उन्होंने जीवन-शैली पर आधारित एक मासिक पत्रिका का संपादन भी किया है। भारत की एक अग्रणी वेबसाइट के लिए एक ऑनलाइन ‘एगोनी आंट’ के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने ढेरों अनुभव प्राप्त किए हैं।