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Author Urvashi Agrawal ‘Urvi’
Features
  • ISBN : 9789392573866
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Urvashi Agrawal ‘Urvi’
  • 9789392573866
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2024
  • 248
  • Soft Cover
  • 300 Grams

Description

"भावों की शब्दों में प्रस्तुति आंशिक रूप में ही हो पाती है। साधारणतः इस भाव सागर से प्रत्यक्ष शब्द रूप अँजुरी भर ही निकल पाता है और शेष समय और परिस्थिति के प्रभाव से अग्राह्य रह जाता है। कवि की रवि से तुलना उसकी भावों को शब्दों में रूपांतरण और कल्पना विस्तार की क्षमता के कारण ही की जाती है। जितनी यहाँ व्यापकता उतना प्रभावी सामर्थ्य ! उर्वशी जी ने यही वृहद् विस्तीर्णता मनोभावों के शाब्दिक रूपांतरण में सहजता से पिरो दी है।

विहीनता और गहनता का विस्मयकारी जुड़ाव यहाँ स्पष्टतः दृष्टव्य है। अंतर्भावों के कितने उद्वेग और परिमाण से निकली होंगी ये शब्द वाहिनियाँ ! कितने मंथन का परिणाम रहा होगा यह उत्पाद !

उर्वशी जी ने इस पुस्तक 'अंतर्मन की पाती : सुनो ना' द्वारा आधुनिक कविता के उत्परिवर्तित रूप को गहन भावों के भौतिकता में प्रकटन का माध्यम बनाया है। गंभीरता और गहनता का सरलता व स्पष्टता में अनुवाद किया है।

नारी के मनोभावों को परिभाषित करती यह कृति पाठकवृंद को भेजी एक परिष्कृत पाती है, जो सुपाठ्य व धनाढ्य है। कवयित्री ने भाषा-सौंदर्य, वैशिष्ट्य व समृद्ध साहित्यिक परंपरा का निर्वहन किया है। उनकी प्रकाशित पुस्तकों में विभिन्न भाषा-शैलियों का प्रयोग लेखन परिपक्वता का परिचायक है।"

The Author

Urvashi Agrawal ‘Urvi’

उर्वशी अग्रवाल 'उर्वी'
बाल्यकाल से ही कविताएँ लिखने में विशेष रुचि। समय के साथ-साथ ग़ज़लें लिखने का भी अनुभव। महिला विषयों, विशेषकर उनकी विभिन्न भावनाओं को कविताओं, ग़ज़लों, दोहों और चौपाइयों के माध्यम से प्रस्तुत करती हैं। हिंदी के अतिरिक्त सरैकी भाषा में भी काव्य सृजन। आकाशवाणी द्वारा आयोजित हिंदी व सरैकी के कई काव्य प्रसारणों व कविता पाठ में सम्मलित हुई हैं। अनेक टी.वी. चैनलों के कार्यक्रमों में कविताएँ व ग़ज़लें प्रस्तुत की हैं। अब तक लगभग एक हज़ार हिंदी कविताओं व पाँच सौ ग़ज़लों का सृजन। पाँच कविता व ग़ज़ल-संग्रह शीघ्र ही प्रकाशित होने वाले हैं, जिनमें प्रमुख हैं खण्डकाव्य ‘व्यथा कहे पंचाली’ व दोहा संग्रह ‘मैं शबरी हूँ राम की’। दिल्ली व उसके आप-पास होने वाले कवि सम्मेलनों एवं मुशायरों में सक्रिय भागीदारी।

काव्य मंच संचालन में सिद्धहस्त एवं कई सफल कवि सम्मेलनों, काव्य गोष्ठियों का संचालन कर चुकी हैं।

संप्रति: 
वर्तमान में सुविख्यात हिंदी साहित्यिक पत्रिका ‘साहित्य अमृत’ की उप-संपादिका हैं।

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