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पत्ते, पतझर, मलय पवन कोंपल, कोयल, भ्रमर, सूर्य-किरण, ओस बिंदु, इंद्रधनुष, तितली-पंख, मेहँदी, मृगछौना आदि उन्हें प्रभावित करते हैं या इन्हें वे प्रतीकों के रूप में इस्तेमाल करती हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि उषा का यह द्वितीय काव्य-संग्रह भी चर्चित और प्रशंसित होगा। अनुजावत् अपनी प्रिय शिष्या को पुनः स्नेहाशीष।
जन्म : 15 दिसंबर, 1946
शिक्षा : एम.ए. (अंग्रेजी), बी.एड.
प्रकाशन : यत्र-तत्र पत्र-पत्रिकाओं में कुछ स्फुट रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं। सहयोगी संकलन ‘कविता परिदृश्य’ प्रकाशित हुआ है।
अपनी बात : जो बात किसी से नहीं कही जा सकी और मन के अंदर भी नहीं रखी जा सकी, वही समय-समय पर इन पंक्तियों में फूटी है। उसे कविता का रूप मिला इसका श्रेय मेरे श्रद्धेय गुरुजनों को है, जिनकी निरंतर प्रेरणा व आशीर्वाद के बिना काव्य-सरिता का जीवन-मरू में खो जाना सहज अनिवार्य था।
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