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अनुपम कहानियाँ संग्रह की कहानियों की विशेषता इनकी विविधता है। सारी कहानियाँ ऐसे विषयों पर हैं जिन पर आज तक कहानियाँ नहीं लिखी गई हैं। ‘सम्राट्’ कहानी शिवाजी के आगरा से भाग जाने की घटना का रोमांचक वर्णन है। ‘आतंक’ कहानी उग्रवाद को एक चामत्कारिक रूप देती है। वसिष्ठ श्रीरामचंद्र के गुरु थे और ‘वसिष्ठ’ कहानी उनके जीवन पर नया प्रकाश डालती है। ‘सह्याद्रि’ कहानी पाठकों को अपने साथ पर्यटन पर ले जाती है और फिर पाठकों को वर्तमान जीवन के संघर्ष पर विचार करने के लिए विवश कर देती है। इसी तरह सारी कहानियों में ताजगी और नयापन है।
यशवंत मांडे की शैली और प्रस्तुतीकरण आकर्षक है। भाषा का प्रयोग कहानी के विषय के अनुसार और सरल है। इन कहानियों में किसी प्रकार की अश्लीलता नहीं है और इसे बच्चे, बूढ़े और स्त्रियाँ सभी पढ़ सकते हैं।
ये कहानियाँ वास्तव में अनुपम हैं और हमें आशा है कि पाठकों को पसंद आएँगी
लेफ्टि. जनरल यशवंत मांडे का जन्म फैजाबाद, उत्तर प्रदेश में 18 नवंबर, 1933 को हुआ। उनकी प्राथमिक शिक्षा वाराणसी व गोरखपुर में हुई। 16 वर्ष की उम्र में उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में प्रवेश लिया।
बचपन से ही उनकी रुचि हिंदी साहित्य में थी। कमीशन के बाद उन्होंने बी.ए. और एम.ए. की पढ़ाई अंग्रेजी में की; लेकिन उनका लगाव हिंदी से पहले जैसा बना रहा। वे हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में कहानियाँ लिखते हैं।
भारतीय सेना में अपनी योग्यता और कार्य-कुशलता के लिए उन्होंने ख्याति व उच्च पद प्राप्त किया। सन् 1962, 65 एवं 71 के युद्धों में भाग लिया और देश की सभी सीमाओं पर दायित्व निभाया है।
उनके जीवन में सैन्य सेवा और साहित्य दोनों ही साथ-साथ चलते रहे। सेना से निवृत्त होने के बाद उन्होंने कहानियाँ लिखनी शुरू कीं। उनकी दो पुस्तकें ‘श्रेष्ठ सैनिक कहानियाँ’ और ‘अनुपम कहानियाँ’ प्रकाशित हो चुकी हैं।